Varanasi Gyanvapi Case : फिर जिला अदालत में लौट आया पोषणीयता का मामला, सिविल जज ने दिया था कमीशन की कार्यवाही का आदेश

जागरण संवाददाता, वाराणसी। मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और देवी-देवताओं के विग्रह को सुरक्षित करने की मांग करते हुए पांच महिलाओं ने 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में मुकदमा दाखिल किया था। इसके साथ ही इस मुकदमे में प्रतिवादी बनाए गए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद ने मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए मुकदमे को निरस्त करने की मांग की थी। उसी दिन अदालत ने मौके की वस्तुस्थिति जानने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था।
दो एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए लेकिन उनकी ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। एक बार फिर अदालत ने आठ अप्रैल 2022 को अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। कमीशन की कार्यवाही की जिम्मेदारी सौंपते हुए मुकदमे की पोषणीयता (आदेश 7 नियम 11 सीपीसी) के प्रार्थना पत्र को इससे अलग माना। सिविल जज के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी।
हाईकोर्ट ने 21 अप्रैल 2022 को इस याचिका को निरस्त कर दिया। इसके बाद प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल जज के आदेश को चुनौती देते हुए वाद की पोषणीयता की पहले सुनवाई करने की अपील की। 20 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए उक्त मुकदमा सिविल जज (सीनियर डिविजन) की अदालत से जिला जज के न्यायालय को स्थानांतरित कर दिया। साथ ही यह निर्देश दिया कि प्रतिवादी की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र (वाद की पोषणीयता) की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर की जानी चाहिए।