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Varanasi Gyanvapi Case: क्या कहता है पूजा स्थल कानून, 1991; कानून के खिलाफ ये है दलीलें

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने पूजास्थल कानून की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। उनका कहना है कि न्यायिक समीक्षा संविधान की मूल संरचना है और पूजास्थल कानून इस मूल संरचना को ही खत्म करता है। यह कानून कहता है कि धार्मिक स्थलों को लेकर जो मुकदमा चल रहा है, वह खत्म हो जाएगा और आगे से कोई मुकदमा दर्ज नहीं होगा। यह संविधान के एक स्तंभ न्यायपालिका पर सीधा प्रहार है। लोकतंत्र में विवाद का निपटारा कोर्ट के जरिये नहीं होगा तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा और भीड़तंत्र हावी हो जाएगा।

देश में कांग्रेस के नेतृत्व में तत्कालीन पीवी नरसिंह राव सरकार ने 1991 में पूजा स्थल अधिनियम लागू किया था। इस कानून के प्रविधानों पर एक नजर:

कानून की धारा-2

यह धारा कहती है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी धार्मिक स्थल में बदलाव के विषय में यदि कोई याचिका कोर्ट में लंबित है तो उसे बंद कर दिया जाएगा।

धारा-3

इस धारा के अनुसार किसी भी धार्मिक स्थल को पूरी तरह या आंशिक रूप से किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में बदलने की अनुमति नहीं है। यह धारा सुनिश्चित करती है कि किसी पूजा स्थल को एक ही धर्म के अलग वर्ग के लिए भी न बदला जाए।

धारा-4 (1)

इस कानून की धारा 4 (1) कहती है कि 15 अगस्त, 1947 को किसी पूजा स्थल का चरित्र जैसा था, उसे वैसा ही बरकरार रखा जाएगा।

धारा-4 (2)

15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को परिवर्तित करने के संबंध में किसी भी अदालत के समक्ष लंबित कोई भी मुकदमा या कानूनी कार्यवाही समाप्त हो जाएगी और कोई नया मुकदमा या कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की जाएगी। यदि पूजा स्थल की प्रकृति में बदलाव 15 अगस्त, 1947 के बाद हुआ हो, तो उस स्थिति में कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सकती है।

धारा- 5

इसमें प्रविधान है कि यह कानून श्रीराम जन्मभूमि मामले और इससे संबंधित किसी भी मुकदमे, अपील या कार्यवाही पर लागू नहीं होगा।

इस कानून के खिलाफ याचिका में उन्होंने विभिन्न बिंदुओं पर कानून को लेकर सवाल उठाए हैं:

  • पूजास्थल कानून का बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास नहीं है। यह कानून पब्लिक आर्डर (कानून व्यवस्था) बनाए रखने के नाम पर बनाया गया है, जबकि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्य की होती है और यह राज्य सरकार का विषय है।
  • यह कानून धार्मिक स्थान की यथास्थिति बनाए रखने के नाम पर लाया गया है। भारत से बाहर के धार्मिक स्थल केंद्र सरकार का विषय हैं। देश के अंदर स्थित तीर्थ स्थानों को लेकर कानून बनाने का अधिकार राज्यों के पास है।
  • संसद कानून बनाकर ऐतिहासिक गलतियों को सही नहीं ठहरा सकती। अगर धार्मिक स्थलों की स्थिति के लिए कटआफ तय करना ही था तो वह वर्ष 1192 होना चाहिए।
  • यह कानून हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध धर्मावलंबियों को उनके पूजास्थलों पर हुए अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कोर्ट जाने से रोकता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 49 का सीधा उल्लंघन है।
  • न्यायिक समीक्षा संविधान के अनुच्छेद 14 का हिस्सा है। हमारे देवी-देवता ज्यूरिस्टिक पर्सन हैं। इनको भी वैधानिक अधिकार हैं। संपत्ति का अधिकार है। इस कानून के जरिये राम और कृष्ण के बीच भेद करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, क्योंकि पूजा स्थल कानून, 1991 कहता है कि अयोध्या का मामला इसके दायरे में नहीं आएगा, लेकिन यह मथुरा पर लागू होगा। इस तरह राम और कृष्ण के बीच में भेदभाव कर दिया गया।
  • यह अनुच्छेद 21 में दिए गए राइट टु जस्टिस (न्याय का अधिकार) का भी उल्लंघन है। कोर्ट जाना, वहां दलील देना और वहां से न्याय लेना इसके अंतर्गत आता है। पूजास्थल कानून कोर्ट का दरवाजा बंद कर रहा है।
  • संविधान के अनुच्छेद 25 में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख को भी अपने धर्म का पालन करना, उसका प्रचार-प्रसार करना, पूजा करना, रीति-रिवाज मानने आदि का अधिकार है। जब हमारे महादेव या कृष्ण या किसी देवता का स्थान ही कब्जे में होगा तो हम अपने अनुच्छेद 25 का पालन कैसे कर पाएंगे?
  • अनुच्छेद 26 अपने धार्मिक स्थानों के रखरखाव का अधिकार देता है। जब मंदिर का मालिकाना हक ही हिंदुओं के पास नहीं है तो उसका रखरखाव कैसे होगा।
  • अनुच्छेद 29 में राइट टु कल्चर के तहत इस देश में हमें अपनी संस्कृति को बचाने व उसका संरक्षण करने का अधिकार है। कृष्ण जन्मभूमि दुनिया में एक ही है, मथुरा में। भगवान शिव के 12 ज्योतिलिर्ंगों का कोई स्थानापन्न (सब्सिट्यूट) नहीं है। कृष्ण का कोई दूसरा मंदिर, मथुरा का सब्सिट्यूट नहीं हो सकता। इस तरह यह कानून हमें अपनी संस्कृति से दूर कर रहा है।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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