काशी तमिल संगमम: वाराणसी में पर्यटन विकास को लगे पंख, दक्षिण भारतीय पर्यटकों की संख्या बढ़नी तय

सार
काशी तमिल संगमम से पर्यटन विकास को पंख लग गए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग कर दी है। जिसका फायदा आने वाले एक से दो साल में मिलना तय है।
विस्तार
काशी तमिल संगमम से पर्यटन विकास को पंख लग गए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र काशी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग कर दी है। जिसका फायदा आने वाले एक से दो साल में मिलना तय है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार अभी सालाना 75 लाख दक्षिण भारतीय काशी आते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम से आने वाले एक से दो साल में इनकी संख्या डेढ़ से दो गुना होने का अनुमान है।
टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता ने बताया कि काशी में तमिल संगमम का फायदा आने वाले दिनों में मिलेगा। प्रधानमंत्री ने उद्घाटन करके पर्यटन विकास की नींव रख दी है। यहां हर साल डेढ़ करोड़ पर्यटक आते हैं। इनमें दक्षिण भारतीयों की संख्या आधी होती है।
बनारसी साड़ी को प्रसाद समझ कर ले जाते हैं
दक्षिण भारतीय पर्यटक लंबे समय से यहां बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आते हैं। अब इनकी संख्या बढ़नी तय है।बांसफाटक के साड़ी कारोबारी अनुराग केसरवानी ने बताया कि काशी में दक्षिण भारतीय पर्यटकों की संख्या काफी अधिक होती है। वे यहां से साड़ी को प्रसाद के रूप में ले जाते हैं।
ज्यादातर दक्षिण भारतीय पर्यटक 300 रुपये से 1500 रुपये तक की बनारसी साड़ी खरीदते हैं। कुछ पर्यटक शुद्ध बनारसी साड़ी खरीदते हैं। शुद्ध बनारसी साड़ी की कीमत 2000 रुपये से शुरू होती है। अधिक दाम की साड़ियां कम लोग खरीदते हैं।
संगमम को लेकर विदेशों से हो रही पूछताछ
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य के वेंकटरमण घनपाठी ने बताया कि काशी तमिल संगमम कार्यक्रम को लेकर विदेशों से फोन आ रहे हैं। आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मलेशिया, कनाडा, अमेरिका आदि जगहों से तमिल बंधुओं के फोन आ रहे हैं। वे भी इस कार्यक्रम में आने की इच्छा जता रहे हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम से आने वाले दिनों में पर्यटन को काफी फायदा होगा। ज्यादातर दक्षिण भारतीय यहां दर्शन पूजन, गंगा स्नान व तर्पण के लिए आते हैं।