
जौनपुर। बीपीसीएल बिकने जा रही है लेकिन बीपीसीएल की बिक्री से भारत गैस पर उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी पर फिलहाल असर नहीं पड़ेगा। हर गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी एक निर्धारित समय तक जारी रहेगी। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कुछ समय पहले साफ किया था कि गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी केंद्र सरकार देती है। बीपीसीएल के बिकने के बावजूद सब्सिडी उपभोक्ताओं के बैंक खाते में आती रहेगी।
रसोई गैस के काफी उपभोक्ताओं के पास भारत पेट्रोलियम का गैस सिलेंडर कनेक्शन है। उनकी चिंता सब्सिडी को लेकर है। बीपीसीएल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल में कहा कि कंपनी के नए मालिक को अधिग्रहण के तीन साल बाद यह निर्णय लेने का अधिकार होगा कि वह सब्सिडी वाले एलपीजी की बिक्री जारी रखना चाहता है या नहीं। उन्होंने बताया कि सरकारी सब्सिडी को जारी रखने के लिए इस अवधि में बीपीसीएल के एलपीजी उपभोक्ताओं को एक नई यूनिट में ट्रांसफर किया जाएगा। गौरतलब है कि सरकार एक साल में प्रत्येक परिवार को 14.2 किलो ग्राम वाले 12 रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी रेट पर उपलब्ध कराती है। दिसंबर माह के लिए प्रति सिलेंडर पर सब्सिडी लगभग 50 रुपये है। इस सब्सिडी का भुगतान उपभोक्ता के सीधे बैंक खाते में किया जाता है।
सरकार को बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए तीन आरंभिक बोलियां मिली हैं। बीपीसीएल देश की दूसरी सबसे बड़ी ईंधन कंपनी है, जिसमें सरकार अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी बेच रही है। इसके लिए वेदांता सहित 3 कंपनियों ने प्रारंभिक अभिरुचि पत्र दाखिल किया है। वेदांता के अतिरिक्त अन्य दो बिडर्स ग्लोबल फंड हैं। इन कंपनियों में एक अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट है। इसके लिए अभिरुचि पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 16 नवंबर थी। पहले इस रेस में आरआईएल और सऊदी अरामको जैसी कंपनियों के भी शामिल होने का अनुमान था, लेकिन उन कंपनियों ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।