Supreme Court: तलाक-ए-बाइन और तलाक-ए-किनाया के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, जानें क्या है मामला

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने पीठ से कहा कि इस तरह के तलाक नई चीजें हैं और किसी अन्य देश ने इसका अभ्यास नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक -ए-बाइन और तलाक-ए-किनाया को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत तलाक ए हसन और तलाक ए अहसन से जुड़ी याचिकाओं के साथ कल होगी सुनवाई। तलाक ए बाईन को कर्नाटक की एक महिला डॉक्टर सैयदा अमरीन ने चुनौती दी है। कहा है कि एक साथ तीन तलाक के गैरकानूनी हो जाने के बाद कट्टरपंथी नए रास्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता महिला ने सुनाया अपना दर्द
याचिकाकर्ता, कर्नाटक की पेशे से डॉक्टर, सैयदा अंबरीन ने कहा कि उसकी शादी 22 अक्तूबर, 2020 को मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार उसके पति से हुई थी और शादी के बाद, उसके पति और उसके परिवार के सदस्यों ने दहेज के लिए उसे शारीरिक-मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। जब याचिकाकर्ता के पिता ने दहेज देने से इनकार कर दिया, तो उसके पति ने भी एक डॉक्टर ने उसे एक काजी और वकील के माध्यम से तलाक-ए-किनाया/तलाक-ए-बाइन दे दिया, जो पूरी तरह से अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 के खिलाफ है। जनवरी 2022 में, काजी कार्यालय से एक पत्र भेजा गया जिसमें उनके पति ने उन पर कुछ अस्पष्ट आरोप लगाए और कहा कि इन सभी शर्तों के कारण इस वैवाहिक संबंध को जारी रखना संभव नहीं है।
क्या है तलाक-ए-किनाया/ तलाक-ए-बाइन
किनाया शब्दों के द्वारा तलाक-ए-किनाया/ तलाक-ए-बाइन दिए जाते हैं। जिनका मतलब मैं तुम्हें आजाद करता हूं, अब तुम आजाद हो, यह रिश्ता अब हराम है, तुम मुझसे अब अलग हो सकते हो।