Follow us On Google
Uncategorizedपूर्वांचल

चंबल के विभिन्न घाटों पर जल्द छोड़े जाएंगे 160 घडिय़ाल शावक

मुरैना । घडिय़ालों के लिए सबसे मुफीद नदी चंबल में जल्द ही घडिय़ाल शावक छोड़े जाऐंगे। इसकी तैयारियां वन विभाग व देवरी घडिय़ाल केन्द्र द्वारा कर ली गई है। चंबल में छोड़े जाने वाले नन्हे घडिय़ाल 2019 व 2020 बैच के हैं। हालांकि अभी चंबल में घडिय़ाल छोड़े जाने की तारीख तय नहीं हुई है लेकिन माना जा रहा है कि संभवत: दिवंबर में ही इन्हें चंबल में छोड़ दिया जाएगा। फिलहाल चंबल में 160 नन्हें घडिय़ाल छोड़ा जाना तय किया गया है। यह शावक किन घाटों पर छोड़े जाऐंगे इसका खाका अभी विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है।

यहां बता दें कि शहर से पांच किलोमीटर दूर स्थित धौलपुर रोड पर देवरी इको सेंटर में घडिय़ालों के बच्चों का पालन पोषण तब तक किया जाता है जब तक वह नदी में छोड़े जाने के काबिल नहीं हो जाते। अमूमन घडिय़ालों के बच्चों को नदी में तब छोड़ा जाता है जब उनकी लंबाई 120 सेंटीमीटर या उससे अधिक हो जाती है। इसके अलावा तापमान भी 30 डिग्री के आसपास हो। यानि ना ज्यादा सर्दी हो और ना ही ठण्ड। चूंकि इस समय घडिय़ाल शावकों को छोडऩे का सबसे मुफीद तापमान है।

इसलिए वन विभाग ने देवरी इको केन्द्र पर रह रहे घडिय़ाल शावकों में से 160 बच्चे चंबल नदी में छोडऩे का फैसला लिया है। चंबल नदी में जो बच्चे छोड़े जाने हैं उनमें वर्ष 2019 बैच के 50 एवं वर्ष 2020 बैच के 110 हैं। हालांकि इन्हें छोड़े जाने की तारीख अभी तय नहीं हुई है।दरअसल इसकी तारीख भोपाल से तय होगी। क्यों कि नदी में घडिय़ाल बच्चे किसी बड़े अधिकारी के हाथों से रिलीज करवाए जाते हैं। इसलिए अभी भोपाल से किसी आला अधिकारी की तारीख नहीं मिल पाई है। लेकिन माना जा रहा है कि 15 दिसंबर तक बच्चे छोड़ दिए जाऐंगे।

गौरतलब है कि चंबल नदी में वर्ष 1979 से घडिय़ालों का संरक्षण हो रहा है। एशिया की सबसे बड़ी घडिय़ाल सेंक्चुरी चंबल है। पहले घडिय़ालों के अंडे हैचिंग के लिए कुकरैल प्रजनन केंद्र लखनऊ भेजे जाते थे। लेकिन अब देवरी ईको सेंटर पर ही हैचिंग होने लगी है। चंबल में वर्ष 2019 में 1876 घडिय़ाल पाए गए थे। 2020 में चंबल नदी के 435 किमी दायरे में की गई गिनती में घडिय़ालों की संख्या 1859 रह गई थी। 2021 में हुई गिनती में चंबल में एक साल में 317 घडिय़ाल बढ़े थे, जिससे संख्या 2176 हो गई थी। अब वर्तमान में घडिय़ालों की संख्या कितनी है इसकी गिनती संभवत: फरवरी माह में की जाएगी। दरअसल इन दिनों घडिय़ाल धूप सेंकने के लिए चंबल में बने छोटे-छोटे टापुओं पर धूप सेंकने के लिए आते हैं।

तीन सैंकड़ा से अधिक बच्चों का हो रहा पालन पोषण: देवरी ईको सेंटर पर फिलहाल 309 घडिय़ाल शावकों का पालन पोषण हो रहा है। यह बच्चे वर्ष 2019 और उसके बाद के बैच के हैं। ईको सेंटर पर घडिय़ाल शावकों के लिए खास इंतजामात किए गए हैं। सर्दी से बचाव के लिए ब्लोअर हीटर लगाए गए हैं। यहां एनक्लोजर का तापमान सही बना रहे इसके प्रयास किए जाते हैं। यहां तक कि जालियों पर चारों तरफ पर्दे लगाए गए हैं। जिससे सर्द हवाऐं घडिय़ाल शावकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकें।

दरअसल घडिय़ाल शावक अधिक सर्दी के चलते निमोनियां का शिकार हो जाते हैं। पूर्व में निमोनियां से शावकों की मृत्यु तक हो चुकी है।रीवा व श्योपुर जाएंगे घडिय़ाल शावक: देवरी घडिय़ाल केन्द्र में रह रहे घडिय़ाल शावक जल्द ही मुकुंदरानू रीवा एवं कूनो पालपुर भेजे जाऐंगे। मुकुंदरानू 8 एवं कूनो पालपुर 20 शावक भेजे जाऐंगे। गौरतलब है कि इससे पूर्व भी देवरी केन्द्र से अन्य स्थानों पर घडिय़ालों के बच्चे भेजे जा चुके हैं।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

Follow us On Google

Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!

Adblock Detected

Please disable your Adblocker