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क्राइमदेश

Shraddha Murder: नार्को टेस्ट में ये दवा देते ही श्रद्धा की हत्या का राज खोलेगा आफताब? जानें टेस्ट के बारे में

दिल्ली के श्रद्धा हत्याकांड में अगले दो दिन में आरोपी आफताब का नार्को टेस्ट हो सकता है। आफताब की पुलिस रिमांड खत्म होने वाली है, इसलिए बचे हुए समय में पुलिस कई और सबूत जुटाने की कोशिश में है। पुलिस को भरोसा है कि नार्को टेस्ट में आफताब कई राज खोल सकता है। 

ऐसे में सवाल है कि आखिर नार्को टेस्ट होता क्या है? इसकी प्रक्रिया क्या होती है? इसमें कौन सी दवा दी जाती है, जिससे कोई भी इंसान सच बोलने लगता है? आइए समझते हैं…

पहले नार्को टेस्ट के बारे में जान लीजिए
नार्को एक ग्रीक शब्द है। जिसका अर्थ है एनेस्थीसिया या टॉरपोर होता है। इसका उपयोग मेडिकल टर्म में किया जाता है, जो साइकोट्रोपिक दवाओं विशेष रूप से बार्बिटुरेट्स का उपयोग करता है। इसे ट्रुथ सीरम भी कहा जाता है। इसमें एक तरह की दवा दी जाती है, जिससे उसकी  चैतन्यता कम होती जाती है। इसी दौरान उससे सवाल पूछा जाता है, जिसका बिना संकोच किए वह जवाब देता है। चूंकि इस दौरान वह कुछ और सोचने और समझने की हालत में नहीं होता है, इसलिए जो सच रहता है वही बोलता है।  
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किस दवा को देते ही इंसान सच बोलने लगता है? 
हमने इसे समझने के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक चंद्रा से बात की। उन्होंने कहा, इस टेस्ट में इंसान की नसों में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम अमाइटल इंजेक्ट किया जाता है। एनेस्थीसिया के जरिये जिसे ये इंजेक्शन दिया जाता है,  इसके चलते शख्स की चैतन्यता कम होती जाती है। मतलब वह बेहोशी जैसी हालत में रहता है, हालांकि पूरी तरह से बेहोश नहीं रहता है। इस दौरान उसमें अलग से कुछ सोचने और समझने की क्षमता नहीं रहती है। ऐसे में जो भी सवाल पूछा जाता है, आमतौर पर वह सबकुछ सही बताता है। 

डॉ. चंद्रा के अनुसार, नार्को टेस्ट के दौरान मालिक्यूलर लेवल पर व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में दखल देकर उसकी हिचक कम की जाती है। नींद जैसी अवस्था में उससे वह सबकुछ कहलवाया जाता है, जिसकी जानकारी उसके पास होती है। इंजेक्शन का डोज इंसान लिंग, आयु, स्वास्थ्य और शारीरिक स्थिति के अनुसार तय किया जाता है।  इस प्रक्रिया के दौरान, व्यक्ति के पल्स रेट और ब्लड प्रेशर की लगातार निगरानी होती है। अगर ब्लड प्रेशर या पल्स रेट गिर जाता है तो आरोपी को अस्थाई तौर पर आक्सीजन भी दी जाती है।
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क्या नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी झूठ भी बोल सकता है?
डॉ. अभिषेक ने इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘हां, ये सौ फीसदी सिक्योर नहीं है कि नार्को टेस्ट के दौरान इंसान सच ही बोले। कई मामलों में शातिर अपराधी नार्को टेस्ट को भी धोखा दे देते हैं। निठारी कांड में भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब इस टेस्ट के जरिए पुलिस को कुछ खास नहीं मालूम चल पाया था। इसी तरह 2007 में हैदराबाद के दोहरे बम ब्लास्ट मामले के आरोपी अब्दुल करीम और इमरान से भी नार्को टेस्ट में जांच एजेंसी कुछ खास नहीं कबूल करवा पाई थी।’

उन्होंने बताया कि कई शातिर बदमाश खूब नशे में रहते हैं और इसके बावजूद वह अपनी बातों को जाहिर नहीं होने देते हैं। ऐसे में कई तरह का ट्रिक लगाकर नार्को टेस्ट को भी धोखा दे सकते हैं। 

बगैर व्यक्ति की सहमति के नहीं होता टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चंद्र प्रकाश पांडेय के अनुसार, नार्को टेस्ट कराने के लिए कोर्ट की मंजूरी के साथ-साथ व्यक्ति की सहमति भी जरूरी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पालीग्राफ टेस्ट किसी भी व्यक्ति की सहमति के बिना नहीं किए जा सकते। कोर्ट ने कहा था कि यह अवैध और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है। 

पांडेय के अनुसार, नार्को टेस्ट के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्राथमिक साक्ष्य के रूप में स्वीकार नहीं किए जाते हैं। जब अदालत को कुछ परिस्थितियों में लगता है कि मामले के तथ्य और प्रकृति इसकी अनुमति दे रहे हैं, इस टेस्ट की अनुमति दी जाती है।

उन्होंने बताया कि जिस शख्स का नार्को टेस्ट होता है, उसे इसकी प्रक्रिया के बारे में पहले से सबकुछ बताया जाता है। जब वह पूरी तरह से संतुष्ट हो जाता है तब डॉक्टर उसका मेडिकल परीक्षण करते हैं। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई शुरू होती है। इसमें जांच एजेंसी सीधे आरोपी से सवाल नहीं करती है, बल्कि वह सवालों की लिस्ट बनाकर डॉक्टर को दी जाती है। डॉक्टर ही आरोपी से सारे सवाल करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग होती है। 

नार्को टेस्ट के जरिए इन सवालों के जवाब तलाशेगी पुलिस

1. श्रद्धा की हत्या कब और क्यों की? क्या इसमें कोई और भी शामिल है?
2. श्रद्धा के सिर व शरीर के अन्य के टुकड़ों को कहां-कहां फेका? 
3. श्रद्धा और खुद के कपड़ों को कहां रखा? 
4. जिस हथियार से श्रद्धा के शव के टुकड़े किए, उसे कहां छिपाया? 
5. श्रद्धा का मोबाइल कहां है?

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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