Raksha Bandhan 2022 : वाराणसी की गुलाबी मीनाकारी राखी की मांग देश-दुनिया में हो रही, घरेलू बाजार से मिला दस लाख से अधिक का आर्डर

जीआई उत्पाद की मांग घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही है। वाराणसी के जीआई उत्पादों में प्रमुख गुलाबी मीनाकारी से बने उत्पाद को मोदी-योगी ने बड़ा बाजार उपलब्ध करा दिया है, जो महिलाओं को बड़ी तादात में रोजगार भी उपलब्ध करा रहा है। अब ये हैंडीक्राफ्ट उत्पाद चाइना के उत्पादों को भी मात देने लगे हैं। रक्षा बंधन में गुलाबी मीनाकारी की राखियों की डिमांड देश विदेश से आ रही है।
देश-विदेश से मिला 10 लाख रुपये का ऑर्डर
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कुंज बिहारी ने बताया कि गुलाबी मीनाकारी की राखी की मांग घरेलू और विदेशी मार्केट में बढ़ी है। रक्षा बंधन के मौके पर अमेरिका समेत कई देशों और घरेलू बाजार से करीब दस लाख रुपये से अधिक का आर्डर मिला है। जिससे पांच सौ से अधिक महलाओं को रोजगार मिला है। पार्ट टाइम काम करके महिलाएं रोज़ाना 200 से 500 रुपये कमा ले रही हैं।
गुलाबी मीनाकारी में होता है चांदी का काम
कुंज बिहारी के अनुसार चाइना की राखी की जगह इस बार बहनें अपने भाई की कलाई पर हैंडमेड गुलाबी मीनाकारी की राखी बांधना ज्यादा पसंद कर रही हैं। गुलाबी मीनाकारी की राखी में चांदी का काम किया जाता है। इस राखी की ख़ासियत ये भी है की बाद में इसे लॉकेट (पेन्डेन्ट) और ईयर रिंग की तरह भी इस्तमाल किया जा सकता है।
बेहद ही बारीक कारीगरी से बनाई गई इस गुलाबी मिनाकारी वाली राखी की सबसे खास बात ये है कि इसमें चांदी और स्टोन का इस्तेमाल किया गया है। जो इस राखी को और भी खास बनाता है। पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी राखी में जीआई टैग लगा हुआ है। जिससे यह राखी ग्लोबल मार्केट में भी अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है। इसे राखी को तैयार करने वाले कुंज बिहारी बताते हैं कि इस तरह के गुलाबी मिनाकारी वाले राखी को पहली बार लाया गया है। उनका कहना है कि वे जब पहली बार एक राखी बनारस फेसबुक पेज पर डाला तो इसकी पूछताछ बढ़ती गई है। जीआई टैग होने से लोगों में ये और भी ज्यादा पसंद किया जाने लगा।
हैंडीक्राफ्ट उद्योग को मिला है बल
वाराणसी के संयुक्त आयुक्त उद्योग उमेश सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मेहमानों को काशी की धरोहर हैंडीक्राफ्ट उत्पादों को गिफ्ट देने से इसकी मांग विश्व भर में बढ़ी है। इसके साथ ही चाइनीज़ उत्पादों की मांग भी काफी घटी है। साथ ही शिल्पियों खासतौर पर महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है।