Raksha Bandhan 2022 : इस बार रात में भाइयों की कलाई पर सजेगी राखी, 11 को पूर्णिमा के साथ ही भद्रा भी

Raksha Bandhan 2022 सनातन धर्म के पर्व-उत्सव संदेश देते हैं। इसमें भाई बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन प्रमुख है। यह पर्व सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार तिथियों के फेर से सावन दो दिन मिल रहा है, लेकिन शास्त्रीय मान-विधान के तहत रक्षा बंधन 11 अगस्त को मनाया जाएगा।
Sawan Purnima पूर्णिमा 11 अगस्त की सुबह 9.35 बजे लग रही है जो 12 अगस्त की सुबह 7.18 बजे तक रहेगी। हालांकि 11 की सुबह 9.35 बजे पूर्णिमा लगने के साथ ही भद्रा भी लग जा रहा है जो रात 8.26 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. नरहरि जनार्दन शास्त्री खुंटे के अनुसार इस स्थिति को देखते हुए रक्षा बंधन रात 8.26 बजे से रात 11.43 बजे तक मनाना ठीक रहेगा।
रक्षा बंधन उत्सव में बेला का निषेध नहीं
BHU काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार पूर्णिमा पर आधे काल में भद्रा रहता ही है जो इस बार रात तक रहेगा। भद्रा में राखी बांधने के साथ ही अन्य शुभ कार्य वर्जित हैं। हालांकि 12 अगस्त की सुबह पूर्णिमा जरूर मिल रही है लेकिन यह प्रतिपदा से युक्त है। अतः 11 को ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा। रही बात रात में समय मिलने की तो रक्षा बंधन उत्सव में बेला का निषेध नहीं है। इसमें समय-काल का निषेध नहीं। भद्रा मुक्त पूर्णिमा में रक्षा बंधन मनाया जा सकता है।
रक्षा बंधन कथा : वैदिक काल में देव-असुरों में भयंकर युद्ध और विजय तिथि थी सावन पूर्णिमा
Raksha Bandhan रक्षा बंधन के बारे में कथा है कि वैदिक काल में एक बार देव-असुरों में भयंकर युद्ध हुआ। लगातार 12 साल तक देवता पराजित होते चले गए। इसे देखते हुए देव मंत्री गुरु बृहस्पति की अनुमति से युद्ध रोकने के साथ इंद्राणियों ने देवराज इंद्र का रक्षाबंधन किया। इसके प्रभाव से इंद्र असुरों का संहार करने में सफल हुए।
देवताओं को विजय प्राप्त हुई। विजय की यह तिथि सावन की पूर्णिमा थी। उसी समय से ही सनातन धर्मावलंबियों में रक्षाबंधन पर्व उत्सव की तरह मनाने के परंपरा चली आ रही है। पर्व विशेष पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं। पुरोहित भी अपने यजमानों को रक्षा सूत्र बांध कर पूरे एक साल तक सुरक्षित करते हैं।