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NATO vs China: अमेरिका और NATO ने चीन को उसके गढ़ में घेरने का बनाया प्‍लान, नाटो ने पहली बार ड्रैगन को माना खतरा

नई दिल्‍ली, जेएनएन। NATO vs China: अमेरिकी सीनेट की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन और अमेरिका में ठन गई है। ऐसे में जाहिर है कि यूक्रेन संघर्ष में रूस को घेरने के बाद अब नाटो NATO की नजर चीन पर टिकी होगी। इसके लिए नाटो के सदस्‍य देश जापान, दक्षिण कोरिया, आस्‍ट्रेलिया और न्‍यूजीलैंड के साथ अपना सहयोग और बढ़ाने की दिशा में अग्रसर हैं। इसका संकेत इस बात से भी जाता है कि नाटो की मैड्रिड में हुई बैठक में इन चारों एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के नेताओं ने शिरकत किया था। मैड्रिड की इस बैठक में यह तय हो गया था कि नाटो का अगला निशाना चीन होगा। नाटो अब चीन की आक्रामकता का मुहंतोड़ जवाब देने के मूड में दिख रहा है। चीन की दादागीरी पर अंकुश लगाने के लिए नाटो एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी पकड़ को मजबूत करने में जुट गया है। आइए जानते हैं कि अमेरिका और नाटो को चीन से क्‍या खतरा है। आखिर चीन उसके निशाने पर क्‍यों है।

चीन को उसके ही गढ़ में घेरने की तैयारी

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि ताइवान मामले में चीन को उसके ही गढ़ में घेरने की रणन‍ीति अमेरिका की है। उन्‍होंने कहा कि नैंसी की ताइवान यात्रा से यह संदेश गया है कि लोकतांत्रिक देशों को एक मंच पर लाकर चीन को घेरना अमेरिकी रणनीति का हिस्‍सा है। प्रो पंत ने कहा कि नाटो को अमेरिका से अलग करके नहीं देखा जाना चाह‍िए। नाटो के लिए अमेरिका सबसे ज्‍यादा फ‍ंडिंग करने वाला मुल्‍क है। ऐसे में जाहिर है कि अमेरिका की रणनीति का नाटो अहम हिस्‍सा है। इस समय रूस ही नहीं, चीन भी अमेरिका के निशाने पर है। इसलिए वह रूस के साथ चीन को भी घेरने की रणनीति तैयार कर रहा है। 

नाटो और चीन में संघर्ष यानी पश्चिमी देशों के साथ सीधा संघर्ष

प्रो पंत का कहना है कि दक्षिण चीन सागर, हिंद महासागर एवं ताइवान में चीन अमेरिका को खुली चुनौती पेश कर रहा है। चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका ने क्‍वाड का गठन किया है। भारत भी क्‍वाड का हिस्‍सा है। इतना ही नहीं नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा और रूस यूक्रेन जंग में चीन ने जिस तरह से रूस को खुला समर्थन दिया है, उससे भी चीन अमेरिका का तनाव चरम पर पहुंच गया है। हाल में चीन ने अपनी हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण करके अमेरिका को कड़ी चुनौती दिया है। अमेरिका जानता है कि चीन को घेरने के लिए वह मित्र राष्‍ट्रों की मदद ले सकता है। अमेरिका अब इस संघर्ष में पश्चिमी देशों को भी जोड़ने के फ‍िराक में है। नाटो और चीन में संघर्ष का मतलब होगा पश्चिमी देशों का चीन के साथ सीधा संघर्ष। 

नाटो ने पहली बार चीन को चुनौती माना

हाल में जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने कहा था कि एशिया- प्रशांत के सहयोगी देशों को अब भविष्‍य में ‘नाटो के शिखर सम्‍मेलन में एक निश्चित अंतराल पर नियमित रूप से हिस्सा लेते रहना चाहिए। नाटो सदस्‍य देशों ने जोर देकर कहा कि वे चीन को लेकर उनके नए भागीदार देशों की चिंता को साझा करते हैं। इस शिखर सम्‍मेलन में पहली बार नाटो ने चीन को औपचारिक रूप से अगले एक दशक के लिए चुनौती माना। इस बीच नाटो और एशिया-प्रशांत देशों के बीच सहयोग से चीन में खतरे की घंटी बज गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता झाओ लिजिआन ने कहा कि अब नाटो ने अपने शिकंजे को एशिया- प्रशांत क्षेत्र तक फैला दिया है। चीनी प्रवक्‍ता ने चेतावनी दी कि इस इलाके में शांति और स्थिरता को कमजोर करने के प्रयासों का फेल होना तय है। चीन ने लगातार एशिया में नाटो जैसे सैन्‍य ब्‍लाक को बनाने का कड़ा विरोध किया है।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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