Mulayam Death: पढ़ें क्या था वो 1995 का ‘गेस्ट हाउस कांड’, जब दुश्मनी में बदल गई थी मुलायम-मायावती की दोस्ती

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। उन्होंने आज सुबह 8.16 पर अंतिम सांस ली। वह 82 साल के थे। मुलायम सिंह गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वह वेंटिलेटर पर थे। पिछले रविवार से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गई। आइए जानते हैं कि लखनऊ के गेस्ट हाउस में ऐसा क्या हुआ था जिससे दोनों पार्टियों की दोस्ती अचानक दुश्मनी में बदल गई। इसे समझने के लिए करीब 27 बरस पहले झांकना होगा।
इस कड़वाहट की क्या वजह थी?
उत्तर प्रदेश की राजनीति में साल 1995 और गेस्ट हाउस कांड, दोनों बेहद अहम हैं। उस दिन ऐसा कुछ हुआ था जिसने न केवल भारतीय राजनीति का बदरंग चेहरा दिखाया बल्कि मायावती और मुलायम के बीच वो खाई बनाई जिसे लंबा अरसा भी नहीं भर सका।
दरअसल, साल 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी बनाई और इसके अगले साल भाजपा का रास्ता रोकने के लिए रणनीतिक साझेदारी के तहत बहुजन समाज पार्टी से हाथ मिलाया।
क्या था गेस्ट हाउस कांड
दरअसल, 1993 में सपा बसपा गठबंधन के बाद मुलायम सिंह यूपी के मुख्यमंत्री बने। मगर जून 1995 में तालमेल सही न बैठ पाने पर बसपा ने गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी। अब मुलायम सिंह अल्पमत हो गए। सरकार बचाने के लिए सपाई आपा खो बैठे। समर्थन वापसी से भड़के सपा कार्यकर्ता लखनऊ के मीराबाई गेस्ट हाउस पहुंचे।
यहां कमरा नंबर एक में मायावती रुकी हुई थीं। सपा कार्यकर्ताओं ने कमरे को घेर लिया और हथियारों से लैस लोगों ने मायावती को गंदी गालियों समेत जाति सूचक शब्द कहे। इतना ही नहीं बसपा के कार्यकर्ताओं सहित विधायकों पर भी हमला कर दिया था।
जन्म – 22 नवंबर 1939, मृत्यु – 10 अक्टूबर 2022
– वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। पहली बार पांच दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक, दूसरी बार पांच दिसंबर 1993 से 3 जून 1995 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक मुख्यमंत्री रहे।
वह एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे।
पहली बार 1967 में विधायक बने। फिर 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधायक बने। फिर उपचुनाव में 2004 से 2007 तक विधायक रहे।
लोकसभा सदस्य के रूप में 1996 में मैनपुरी, 1998 में संभल, 1999 में संभल से रहे। 2004 में मैनपुरी से चुने गए, लेकिन इस्तीफा दे दिया। फिर 2009 में मैनपुरी, 2014 में आजमगढ़ औ 2019 में मैनपुरी से सांसद चुने गए।
1992 में सपा का गठन किया और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वह जनवरी 2017 तक इस पद पर रहे। इसके बाद इन्हें संरक्षक बना दिया।