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Inside Story: तालिबान के बनाए सख्‍त नियमों से छिपकर देश में चल रहे हैं कई सीक्रेट स्‍कूल, किचन में छिपाई जा रही हैं किताबें

अफगानिस्‍तान में तालिबान के आने के बाद इसकी सबसे ज्‍यादा मार यहां की महिलाओं और लड़कियों पर ही पड़ी है। तालिबान ने लड़कियों की एजूकेशन पर रोक लगा दी है, वहीं महिलाओं को भी बिना मर्द के घर से बाहर सार्वजनिक स्‍थानों पर आना मना है। तालिबान की नियम तोड़ने वालों पर कड़ी निगाह भी रहती है। तालिबान के आने से पहले यहां की लड़कियां स्‍कूल जाती थीं। लेकिन, अब हालात बिल्‍कुल अलग हैं। ये अफगानिस्‍तान का एक चेहरा है। इस चेहरे की दूसरी तरफ अंधेरे में कुछ और ही कहानी गढ़ी जा रही है। ये कहानी लड़कियों को बादस्‍तूर पढ़ाने की है। तालिबान के राज में ये सुनना भी हैरान करने जैसा लगता है। लेकिन, अफगानिस्‍तान में चल रहे कई सीक्रेट स्‍कूल इसकी कहानी बयां कर रहे हैं।

इनमें से ही एक स्‍कूल में पढ़ने वाली नफीसा ने एएफपी को बताया कि वो अपनी किताबों को अपने भाई और पिता से छिपाकर रसोई में रखती हैं। नफीसा ने बातया कि रसोई में कोई मर्द नहीं आता है। इसलिए इस जगह से सही कोई दूसरी जगह घर में नहीं हो सकती है। यदि उसके भाई को पेता चल गया तो वो उसको बहुत मारेगा। ये कहानी केवल एक नफीसा की ही नहीं है बल्कि इन सीक्रेट स्‍कूलों में पढ़ने वाली कई और दूसरी लड़कियों की भी है। तालिबान ने जब से यहां पर सेकेंड्री स्‍कूल की पढ़ाई लड़कियों के लिए बंद की है तभी से यहां की लड़कियां मजबूर हो गई हैं।

एएफपी की टीम इस तरह के कई स्‍कूलों में गई है। सुरक्षा को देखते हुए यहां पर उन लड़कियों और शिक्षिकाओं के नाम भी सही उजागर नहीं किए गए हैं। ये स्‍कूल ऐसे घरों में चल रहे हैं जहां पर तालिबान को शक नहीं होता है। नफीसा 20 वर्ष की हो चुकी है। तालिबान के आने के बाद उसकी पढ़ाई की इच्‍छा कम नहीं हुई है। नफीसा की मां और उसकी एक छोटी बहन ही उसका सच जानती है। उसका भाई तालिबान की तरफ से साल भर पहले लड़ चुका है। इसलिए वो उनके नियमों के प्रति काफी कट्टर है। तालिबान के यहां पर आने के बाद अमेरिकी फौज वापस अपने देश चली गई और लड़कियां और महिलाएं अपने घरों में कैद होकर रह गईं।

अफगानिस्‍तान में चलने वाले इन सीक्रेट स्‍कूलों को रिवोल्‍यूशनरी एसोसिएशन आफ वूमेन आफ अफगानिस्‍तान चलाता है। नफीसा कहती है कि उसको केवल मदरसा में जाकर कुरान पढ़ने की ही इजाजत है। लेकिन वो चोरी-छिपे इन स्‍कूलों में पहुंच जाती है। नफीसा को इसका खतरा भी पता है। लेकिन वो अपने लिए कुछ करना चाहती है। उसका कहना है कि वो तालिबान से मुक्‍त होना चाहती है। उसको आजादी चाहिए, अपने सपनों को पूरा करने के लिए। अपने भविष्‍य को संवारने के लिए। जिस छोटे से स्‍कूल में नफीसा पढ़ती है वहां पर उस जैसी ही करीब 9 और लड़कियां आती हैं।

यहां पर आकर नहीं लगता कि ये स्‍कूल चोरी छिपे चलाया जा रहा है। स्‍कूल खत्‍म होने के बाद सभी लड़कियां अपने घर के लिए रवाना हो जाती हैं और स्‍कूल का गेट बंद हो जाता है। यहां पर पढ़ने वाली लड़कियां जिस रास्‍ते से आती हैं जाते समय दूसरा रास्‍ता लेती हैं। कोई नहीं चाहता है कि इस सच्‍चाई का किसी को भी पता चले कि वो इस तरह से पढ़ने जाती हैं। यहां पर पढ़ने वाली अधिकतर लड़कियां पश्‍तून हैं। रास्‍ते में यदि कोई तालिबानी उनसे कुछ पूछता भी है तो वो कहती हैं कि टेलरिंग का काम सीखने जा रही हैं।  

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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