Flood in Varanasi : गंगा में बाढ़ कम होने के साथ तटवर्ती इलाकों में सफाई शुरू, गंगा सेवक ने संभाला मोर्चा

गंगा की बाढ़ में भी कुदरत की रक्षा का जज्बा काशी में नहीं थमा। गंगा सफाई का भगीरथ प्रयास और सबका साथ हो गंगा साफ हो के मूल मंत्र के राथ राजेश शुक्ला आज भी गंगा की सफाई के लिए तट पर डटे रहे।
मां गंगा की बाढ़ के चलते हमेशा गुलजार रहने वाले गंगा के ऐतिहासिक घाटों पर भले ही श्रद्धालुओं की आवाजाही कम है, लेकिन नमामि गंगे की ओर से राजेश शुक्ला का गंगा की तलहटी से कचरा निकालने का अभियान बदस्तूर जारी है। हर दिन सुबह नींद खुलते ही घर से निकल किसी घाट पर जाकर अकेले या फिर टीम के सहयोगीयों के साथ गंगा से कचरा निकालने में जुट जाना राजेश शुक्ला की दिनचर्या का हिस्सा है।
बृहस्पतिवार को सिंधिया घाट के सामने गंगा में बह कर आई कई प्रकार की सामग्रियों को निकाल कर कूड़ेदान तक पहुंचाया गया। प्राइवेट कंपनी में मैनेजर पक्का महाल के निवासी राजेश शुक्ला गंगा को निर्मल बनाने के लिए कई सालों से जुटे हुए हैं। बाढ़ के कारण भी उनकी दिनचर्या में कोई भी बदलाव नहीं आया है। सामान्य दिनों की तरह ही राजेश शुक्ला रोज पौ फटते ही किसी भी एक घाट पर मां गंगा की आरती कर नदी की तलहटी में आस्था के नाम पर फेंकी गई पूजा पाठ सामग्री, पालीथीन से भरी सामग्रियां और खासकर कपड़े आदि को निकालने के काम में जुट जाते हैं।
दो घंटे तक गंगा से कचरा निकालने के बाद उसे “नमामि गंगे” की तरफ से नियुक्त विशाल प्रोटक्शन फोर्स के कर्मचारियों को निस्तारण के लिए सौंपने के साथ पहला चरण पूरा होता है। गंगा में बाढ़ के चलते कारवां छोड़ कभी-कभी अकेले ही सब कुछ करते हैं। दूसरे चरण के तहत लाउडस्पीकर से घाट- घाट पर घूम- घूम कर लोगों को स्वच्छता का मंत्र देना भी दैनिक क्रिया में शामिल रहता है। पर्यावरण संरक्षण के बारे में बता कर लोगों को जागरूक करने का कार्य सतत प्रक्रिया में चलता रहता है।
राजेश शुक्ला ने दस वर्ष पूर्व गंगा को साफ करने का बीड़ा उठाया था, लेकिन उनके प्रयासों को देखते हुए अब तमाम लोग अभियान से जुड़े हैं। नमामि गंगे (गंगा विचार मंच) नाम से सभी 84 घाटों पर बनी समितियों में 15 से 20 लोग शामिल हैं तो 15 लोगों का कोर ग्रुप भी बना है। इसमें समाज के सभी तबके के लोग जुड़े हुए हैं।