Flood In Varanasi : गंगा में उफान के बाद बाढ़ के पानी ने शहर में किया प्रवेश, तटवर्ती इलाकों में पलायन शुरू

Flood in ganga river in Varanasi city: शहर में गंगा नदी का रुख लगातार तल्खी की ओर बना हुआ है। नदी का रुख अब शहर की ओर हुआ तो तटवर्ती इलाकों के अलावा वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह की वजह से लोगों का पलायन शुरू हो चुका है। गंगा के तट पर अब बाढ़ की वजह से हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह हो रहा है। जबकि गंगा आरती का स्थल पूर्व में ही छत पर किया जा चुका है। जबकि प्रमुख घाटों का आपसी संपर्क माह भर पहले ही टूटने लगा था जो अगस्त की शुरुआत में पूरी तरह से टूट गया तो लोगों की घाट से दूरी भी हो गई।
गंगा के जलस्तर में इजाफा होने के बाद से सामने घाट स्थित ज्ञान प्रवाह परिसर में नाले से आए पानी ने चुनौती दी है। जबकि सामने घाट और रमना के बीच काफी जलभराव हो चुका है। वहीं तटवर्ती क्षेत्रों में लोग अब आगे और बाढ़ की आशंका में पलायन करने लगे हैं। गोयनका विद्यालय (अस्सी) सहित कई जगहों पर बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है। असि घाट की सड़क पर पानी आने से अब गलियों में नाव का सफर शुरू हो चुका है तो दूसरी ओर हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह शुरू हो गया है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर लगातार कम भले ही हो रहा हो लेकिन दुश्वारियां जस की तस हैं। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 69.71 मीटर दर्ज किया गया। गंगा का चेतावनी स्तर 70.262 मीटर है तो खतरा बिंदु 71.262 मीटर है। जबकि वर्ष 1978 में सर्वाधिक 73.901 मीटर गंगा का जलस्तर दर्ज किया गया था। जबकि पिछला रिकार्ड 72.320 मीटर था। इस समय दो सेमी प्रति घंटे की गति से गंगा का जलस्तर घट रहा है। वहीं प्रशासन की ओर से बाढ़ राहत के लिए 0542-2508550, 09140037137 नंबर जारी किया गया है।
गोयनका विद्यालय (अस्सी) सहित कई जगहों पर बाढ़ राहत शिविर बनाया गया है। फिलहाल यहां पर किचन की सामग्री के साथ इक्का दुक्का परिवारों ने ही शरण लिया है। मगर आगे बाढ़ का स्तर बारिश होने के बाद बढ़ा तो निचले इलाकों में लोगों के घरों में पानी घुसने पर और भी पलायन की नौबत आ सकती है। वहीं वरुणा नदी में भी पलट प्रवाह की वजह से निचले इलाकों के लोग अपने घरों की छतों का रुख करने लगे हैं। यही हालात बने रहे और पानी कम नहीं हुआ तो बीमारी फैलने की भी आशंका है। हालांकि, स्वास्थ्य महकमे की ओर से अलर्ट घोषित किया जा चुका है।
गंगा और वरुणा तट के कई मकानों में दरार आ चुकी है तो कई मकान गिरने के कगार पर आ चुके हैं। हालात अगर जल्द नहीं सुधरे तो बारिश और पानी लगने की वजह से तटवर्ती इलाके के लोगों के मकानों के गिरने का भी सिलसिला शुरू हो सकता है। वहीं गिरने वाले मकानों को लोग छोड़कर सुरक्षित स्थान पर पनाह लेने लगे हैं। वहीं निचले इलाके के मकानों में सीलन की वजह से लोगों को दुश्वारी भी खूब हो रही है। नींव कमजोर पड़ते ही घरों के गिरने का सिलसिला शुरू हो सकता है।
सामने घाट और ज्ञान प्रवाह के क्षेत्र में गंगा निचले इलाकों में प्रवेश कर चुकी हैं। पानी कम भले ही होने लगा हो लेकिन पानी भरने के बाद निकलना मुश्किल हो रहा है। यहां एक फीट से अधिक जहां पर पानी भर गया है वहां लोग पलायन की तैयारी में हैं। क्योंकि पहाड़ों पर लगातार हो रही बरसात की वजह से गंगा का जलस्तर बढ़ना दोबारा तय माना जा रहा है। इस सीजन में कम बारिश हुई है। ऐसे में आगे बारिश जोरदार हुई तो बाढ़ का दोबारा आना तय है और लोगों के सामने चुनौती खड़ी हो जाएगी।
तटवर्ती इलाकों में गंगा और वरुणा का कहर ऐसा है कि पानी भले ही कम हो लेकिन दुश्वारी बाढ से कम नहीं है।निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भरने से लोगों के सामने पलायन ही एकमात्र सूरत नजर आ रही है। पहाड़ों पर बारिश का असर मैदानी इलाकों में आया और पूर्वांचल सहित मैदानी इलाकों में अगर बरसात बेहतर हुई तो बारिश की वजह से गंगा और वरुणा में भी उफान दोबारा आना तय है। इसका असर तटवर्ती लोगों को झेलना पडे़गा। हालांकि, प्रशासन की नजर तटवर्ती क्षेत्रों और बाढ़ की स्थिति पर लगी हुई है।