Flood In Varanasi : गंगा का जलस्तर चार सेमी प्रति घंटा घटाव की ओर, गंगा पीछे छोड़ती जा रहीं दुश्वारी

काशी में गंगा का रुख भले ही घटाव की ओर हो चला है लेकिन अभी भी गंगा खतरा बिंंदु से ऊपर बह रही हैं और शहर में पानी बहुत धीमी गति से कम हो रहा है। गंगा ने जहां भी पानी छोड़ा है वहां अब दुश्वारियां घर कर गई हैं। कीचड़ और गंदा पानी जमा होने से मच्छर ही नहीं बदबू का भी साम्राज्य अब गंगा छोड़ती जा रही हैं। देर रात 10 बजे तक खतरे के निशान से 0.418 मीटर ऊपर गंगा का पानी बह रहा था जो सुबह दस बजे 71.26 मीटर से नीचे आया। दोपहर 12 बजे तक गंगा का घटाव प्रतिघंटा पांच सेंटीमीटर हो गया और जलस्तर 71 मीटर पर जा पहुंचा। हालांकि, तीन-चार दिनों बाद पहाड़ों की वर्षा का पानी फिर गंगा में बढ़ाव पैदा कर सकता है।
गंगा में सुबह दस बजे से चार सेमी प्रतिघंटा की रफ्तार से जलस्तर कम होने लगा है। राजघाट पर लिए गए माप के अनुसार 71.10 मीटर पर गंगा का जलस्तर लगातार घट रहा है। जिले में 70.262 मीटर चेतावनी बिंंदु है तो खतरा बिंदु 71.262 मीटर पर है। वहीं अब तक सर्वाधिक गंगा का जलस्तर 73.901 मीटर 1978 में दर्ज किया गया है।
गंगा के जल स्तर में अब सुबह दस बजे से चार सेमी प्रति घंटा की दर से गिरावट शुरू हो गई है। बुधवार की रात 10 बजे पानी खतरे के निशान से 0.418 मीटर ऊपर यानी 71.68 मीटर पर बह रहा था जो सुबह 71.26 मीटर से कम हो गया। जलस्तर घटाव की ओर होने के साथ ही आने वाले घंटों में दोबारा तेजी आने की संभावना है। मंगलवार की रात आठ बजे से एक सेंमी प्रति घंटा के वेग से शुरू जलस्तर में घटाव बुधवार की सुबह 10 बजे तक जारी रहा। इसके बाद जलस्तर के घटाव में दोगुनी तेजी आई और पानी दो सेमी प्रति घंटा कम होने लगा।
हालांकि बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में दुश्वारियां कायम हैं। गंगा में बाढ़ के पानी के वरुणा में पलट प्रवाह से वरुणा भी काफी बढ़ी हुई हैं। इससे तटीय मोहल्लों व गांवों में स्थिति बदतर बनी हुई है। शहर में अनेक मोहल्लों में नाव चल रही है तो प्रभावित मोहल्लों के लोग अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। मणिकर्णिकाघाट महाश्मशान और उसकी गलियां जलाजल हैं। गंगा तटवर्ती गांवों में किसानों की खेती भी पानी में डूब कर बर्बाद हो चली है। हालांकि जानकारों का कहना है कि पहाड़ों पर हो रही वर्षा के चलते उधर का पानी तीन-चार दिनों बाद फिर इधर पहुंच सकता है। संभावना है कि तब एक बार फिर जलस्तर में बढ़ाव देखने को मिले।