Akshaya Tritiya 2022 : अक्षय तृतीया पर वाराणसी का झूमा बाजार, 600 करोड़ का कारोबार

जागरण संवाददाता, वाराणसी : अबकी अक्षय तृतीया पर खरीददारी के सारे रिकार्ड टूट गए। मंगलवार को अक्षय फल की कामना ने कारोबार को 600 करोड़ के पार पहुंचा दिया। दो साल कोरोना की बंदिशों के कारण पर्व विशेष पर भी बाजार मंदा था, लेकिन इस बार लगनी सीजन के मेल से धंधा कुछ अधिक ही चंगा रहा। इससे पहले वर्ष 2019 में सबसे अधिक 500 करोड़ रुपये का रिकार्ड कारोबार दर्ज किया गया था।
महंगाई के बाद भी अक्षय तृतीया पर सोने व हीरे के आभूषणों की रिकार्ड बिक्री ने कोरोना के असर को भी बेअसर साबित कर दिया। ईद के कारण सभी बाजार बंद थे, सिवाय सराफा के। ज्वेलरी की दुकानों रात के 12 बजे तक खुली रहीं। दो साल की कोरोना काल के गाल में बाजार को एक तरह से संजीवनी मिल गई। वहीं लोगों ने करीब 100 करोड़ फ्लैट की भी बुकिंग कराई।
बढ़े भाव का असर भी बेअसर
कोरोना से पहले 2019 में अक्षय तृतीया पर जहां सोने की कीमत 35 हजार प्रति ग्राम थी। वहीं, इस साल बढ़कर 53 हजार प्रति ग्राम हो गई। बावजूद इसके लोगों ने जमकर खरीदारी की। लहुराबीर के सराफा कारोबारी गुंजन अग्रवाल ने बताया कि रात 12 बजे तक शोरूम में ग्राहक आते रहे। इस बार बहुत अच्छी बिक्री हुई। अभी तक की सबसे अच्छा कारोबार कहा जा सकता है। लोग छोटे-बड़े हर तरह के आभूषण खरीद रहे थे।
पूर्वांचल के साथ ही बिहार के भी कुछ हिस्सों के लिए सबसे बड़ी सराफा मंडी बनारस में ही है। ठठेरी बाजार, सुड़िया, रेशम कटरा, गोविंदपुरा, नारियल बाजार, कोदई चौकी कर्णघंटा, छत्तातले आदि क्षेत्रों में तो सिर्फ की थोक बाजार ही है। उत्तर प्रदेश स्वर्णकार संघ के जिला महामंत्री किशोर कुमार सेठ ने बताया कि जिले में लगभग 80 से ज्यादा बड़े शोरूम व छोटी-बड़ी गलियों को मिलाकर 3000 हजार से अधिक अन्य ज्वेलरी दुकानें हैं। उन्होंने बताया कि इस साल अक्षय तृतीया पर करीब 600 करोड़ के कारोबार होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि दो साल से अक्षय तृतीया पर सराफा बाजार ठप था। ऐसी स्थिति में इस साल संजीवनी बनकर आया है।
भेलपुर के सराफा कारोबारी अमित अग्रवाल ने बताया कि वाकई में इस साल का अक्षय तृतीय पर्व बहुत अच्छा गया। लोगों ने एक, दो ग्राम के सबसे अधिक सोने के सिक्के व अन्य आभूषणों की खरीदारी की। इस पर्व पर लोगों ने लग्न की सहालग यानी शादी-विवाह के गहनों की भी खदीदारी की। सोने के सिक्के के साथ चेन, झुमका, बाली व चांदी की पायल की खूब बिक्री हुई।