32 की जगह अब 28 दांत ही बीस फीसद तक युवाओं में, जबड़े के आकार में आ रही कमी, अकल दाढ़ हो रही गायब

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। अक्सर आम बोलचाल की भाषा में लोग 32 दांत का जिक्र करते हैं। प्रसन्न हुए तो बत्तीसी न दिखाने और नाराज होने पर मार कर बत्तीसी छटकाने की धमकी भी दे देते हैं, लेकिन जल्द ही ऐसे मुहावरे कहानियों में सिमट कर रह जाएंगे। दरअसल, नई पीढ़ी में बत्तीसी हो ही नहीं रही। अब सिर्फ 28 दांत ही उग रहे हैं। ऐसा दिनचर्या व खानपान में बदलाव के कारण हो रहा है। आजकल 15-20 फीसद युवाओं में थर्ड मोलर यानी अकल दाढ़ हो ही नहीं रही है। जिन लोगों में हो रही है, उनमें भी बेतरतीब ढंग से उग रही है और आगे चल कर उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है। इनमें मवाद की थैली बन जा रही है और इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जा रहा है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू स्थित दंत चिकित्सा संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. टीपी चतुर्वेदी बताते हैं कि 12 ऐसे दांत होते हैं जो खाना खाने में सहायक होते हैं। ये छह ऊपर व छह दांत नीचे की तरफ होते हैं और इन्हें मोलर कहते हैं। शेष 20 दांत सामने आते हैं। अब 15-20 फीसद युवाओं 32 की जगह 28 दांत ही उग रहे हैं। कारण कि चार दांत कम हो गए हैं, जिन्हें थर्ड मोलर कहा जाता है। यह स्थिति पिछले 10 से 30 वर्षों से देखी जा रही है। अकल दाढ़ 18 से 25 साल के बीच आती है। कारण कि इसी उम्र में अक्ल यानी मानसिक विकास तेजी से होता है।
प्रो. चतुर्वेदी बताते हैं कि दशकों पहले लोगों के जबड़े बड़े होते थे और लोग कठोर चीजों को भी खा लेते थे। हालांकि, अब दोनों ही स्थितियों में बदलाव हुआ है। यही कारण है कि थर्ड मोलर की कमी हो रही है। जिनमें थर्ड मोलर हो भी रहे हैं, उन्हें निकालने की नौबत आ जा रही है। उनके अनुपयोगी होने के कारण कई तरह की समस्याएं आ जा रही हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले 40-50 वर्षों में दांतों की संख्या और भी कम हो सकती है।