1942 में आज के दिन अंग्रेजों के खिलाफ कानपुर की सड़कों पर निकल पड़े थे लोग, पढ़ें क्रांति की उस रात की दास्तां

कानपुर, शिवा अवस्थी। महात्मा गांधी ने देश की स्वाधीनता को लेकर जब नौ अगस्त, 1942 को अंग्रेजों भारत छोड़ो का आह्वान किया तो आठ अगस्त की रात में ही कानपुर में हलचल तेज हो गई थी। देर रात तक बड़ा चौराहा से मेस्टन रोड जाते समय बायीं तरफ स्थित तिलक हाल के पास श्रद्धानंद पार्क में लोग जुटने लगे।
अंग्रेजों को जब यह पता चला तो वहां से 42 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद रात भर छापेमारी कर अलग-अलग जगह से 90 लोग पकड़े गए। नौ अगस्त की सुबह फिर लोग पार्क में पहुंचे तो 60 को गिरफ्तार किया गया। इस तरह रात से सुबह तक कुल 150 गिरफ्तारियां हुईं।
बुजुर्ग शंकरदत्त मिश्रा बताते हैं कि तिलक हाल में वह बचपन से आने-जाने लगे थे। अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दमन का दौर बढ़ गया था। रातभर अंग्रेज छापेमारी करने लगे थे। वह दृश्य याद कर अब भी शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। आठ अगस्त को जैसे ही घोषणा हुई तो
कानपुर में हलचल बढ़ गई। यहां तिलकहाल में दूर-दराज से लोग पहुंचने लगे। हमीद खां, मेवालाल यादव, गोवर्धन सिंह स्वतंत्र, डा. जवाहर लाल रोहतगी, बाबू प्यारे लाल अग्रवाल व उनकी पत्नी तारा अग्रवाल, जीजी जोग, पंडित बेनी सिंह अवस्थी, राम दुलारे त्रिवेदी, राम दुलारे मिश्रा, नारायण प्रसाद अरोड़ा आदि लोग पकड़े गए थे। अंग्रेज इस आंदोलन से घबराए हुए दिखाई पड़े।
नौ अगस्त की सुबह तक श्री निवास बालाजी हार्डिकर, श्रीराम फंसलकर, रामदास गुप्ता, चंद्रशेखर आजाद को अपने यहां रुकवाने में मदद करने वाले रामचन्द्र मुसद्दी व उनकी पत्नी देवी मुसद्दी, जंग बहादुर सिंह, अर्जुन अरोड़ा, उनकी बेटी सीता अरोड़ा, हरिहरनाथ शास्त्री व साधना शास्त्री को भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया।
डीएवी कालेज के इतिहास के विभागाध्यक्ष डा. समर बहादुर सिंह ने बताया कि 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजों के ताबूत में आखिरी कील जैसा साबित हुआ। अंग्रेज यहीं से टूट गए, क्योंकि तब जनता आंदोलन के लिए उठ खड़ी हुई थी। धीरे-धीरे समझौते की राह पकड़कर अंग्रेजों ने देश को स्वाधीन करना ही मुनासिब समझा।
शिक्षण केंद्र भी बने थे सहभागी : इतिहास के विभागाध्यक्ष डा. समर बहादुर ने बताया कि डीएवी कालेज क्रांतिकारियों की योजनाएं बनाने का प्रमुख केंद्र था। जब भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा हुई तो डीएवी के साथ ही अन्य कालेजों के युवा भी जागरूकता लाने में जुट गए। घूम-घूमकर पहले से ही माहौल तैयार किया गया था।