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संकट मोचन संगीत समारोह में पं. किशन महाराज और पं. शारदा की बंदिशों पर थिरके रुद्र शंकर

वाराणसी, जागरण संवाददाता। श्रीसंकट मोचन संगीत समारोह की पंचम निशा का शुभारंभ रविवार को शास्त्रीय नृत्य कथक के अनुपम सौंदर्य व कोमलता को समेटे हुए हुआ। 14 वर्षों बाद इस मंच पर पहुंचे वाराणसी के युवा कलाकार रुद्र शंकर मिश्र ने जब अपने पैरों के घुंघुरू की रुनझुन को मंच पर झंकृत किया तो पूरा वातावरण ही नृत्य कर उठा। नृत्य की खुमारी के बीच तबले व घुंघरुओं की झंकार की प्रतियोगिता ऐसी रही कि श्रीहनुमान दरबार काफी देर तक करतल ध्वनि से गुंजायमान होता रहा। उन्होंने बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक पद्मविभूषण पं किशन महाराज और पं. शारदा सहाय द्वारा रची गई बंदिशों पर अद्भुत नृत्य किया।

श्रीराम वंदना ””कृपा करो श्रीराम जन-जन पे…” के बाद उन्होंने पारंपरिक कथक के अंतर्गत उठान से जो नृत्यारंभ शुरू किया तो वह आमद, टुकड़े, तिहाइयों, थाली पर नृत्य तक अनवरत जारी रहा। इस दौरान उन्होंने गत निकासी में जब घोड़े की चाल को मंच पर प्रस्तुत किया तो उनकी नृत्य कला देखने लायक थी। मध्य त्रिभंग ताल पर उनकी प्रस्तुति ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। भगवान श्रीराम और हनुमान के बीच संवाद पर आधारित भजन ने दर्शकों को आह्लादित कर दिया। बोल थे ”श्री सीताराम सीताराम सीताराम जय रघुनंदन जय सियाराम हे दुख भंजन जय सुखधाम। ”” यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण न होगा कि रुद्र शंकर ने कथक नृत्य की संपूर्ण प्रस्तुति में नए वातावरण का निर्माण किया। उनके साथ तबले पर उदय शंकर मिश्र और अंशुल प्रताप सिंह, सारंगी पर अनीश मिश्र ने संगत की। गायन संतोष मिश्र ने किया। दूसरी प्रस्तुति 43 वर्षों से लगातार यहां उपस्थिति दर्ज करा रहीं कंकणा बनर्जी के गायन की रही। उन्होंने राग आनंदी कल्याण से गायन का आरंभ किया। झूमरा ताल में बंदिश ‘बारी-बारी सैंया तुम्हें ढूंढें…’ सुनाकर शास्त्रीयता का पूर्ण परिचय दिया। द्रुत तीन ताल में ‘मन बेर-बेर चाहत…’ व ‘अजहूं न आए…’ सुनाकर लोगों का हृदय जीत लिया। इसी क्रम में राग खमाज में बंदिश की ठुमरी ‘कोयलिया कूक सुनाए…’ के माध्यम से अपनी सधी कला का परिचय दिया। अंत में अपना प्रसिद्ध भजन ‘ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैजनिया…’ सुनाकर विराम दिया।

तीसरी प्रस्तुति में मुंबई से आए नीलाद्रि कुमार के सितार वादन ने तो धूम मचा दी। उन्होंने राग दरबारी का ऐसा अलाप लगाया कि परिसर में बैठे श्रोता शांत भाव से श्रवण में लीन हो गए। नीलाद्रि कुमार ने जब राग की बढ़त जोड़ व झाला में प्रदर्शित की तो उनके साथ मुंबई के यशवंत वैष्णव का तबला वादन भी सुनने लायक था। दोनों की युगलबंदी से अवतरित यह राग काफी आह्लादित कर गया।

नीरज के गायन में झलकी पंडित जसराज की छाप : चौथी प्रस्तुति अहमदाबाद से आए मेवाती घराने के नीरज पारिख का गायन रहा। उन्होंने राग पूरिया को जब अपने स्वरों में साधा तो उसमें उनके पिता व गुरु कृष्णकांत पारिख व संगीत गुरु पद्मविभूषण पंडित जसराज की छाप झलकी। उन्होंने विलंबित एक ताल में ‘जय-जय सियाराम गोसाईं…’ व मध्य लय झप ताल में राजस्थानी बंदिश ‘अब थारे बिनु कुन राखे मोरी लाज….’ सुनाया। इसी क्रम में उन्होंने मध्य लय तीन ताल में ‘श्याम कुंवर मोरे घर आए….’ सुनाकर खूब तालियां बजवईं। अंत में उन्होंने गुरु पंडित जसराज द्वारा गाए व बिल्व मंगलाचार्य रचित भजन ‘गोविंद दामोदर माधवेति..’ सुनाकर अपनी गायकी को उच्चता के आयाम पर पहुंचा दिया।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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