विदेशी मुद्रा भंडार में 2.23 अरब डालर की गिरावट, महंगाई को काबू में करने को लेकर आरबीआइ गवर्नर ने दिए बड़े संकेत

मुंबई, एजेंसियां। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट रही है। आरबीआइ के अनुसार, 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 अरब डालर घटकर 570.74 अरब डालर रह गया है। इससे पहले पांच अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह में यह 89.7 करोड़ डालर घटकर 572.978 अरब डालर के स्तर पर आ गया था। दूसरी ओर महंगाई को काबू में करने को लेकर आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने बड़े संकेत दिए हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की यह है वजह
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की प्रमुख वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में कमी आना है। यह विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख घटक है। आंकड़ों से पता चलता है कि एफसीए 2.652 अरब डालर घटकर 506.994 अरब डालर रह गया है। 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में स्वर्ण भंडार 30.5 करोड़ डालर बढ़कर 40.618 अरब डालर पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के साथ विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.3 करोड़ डालर बढ़कर 18.133 अरब डालर हो गया है।
अस्वीकार्य रूप से उच्च स्तर पर बनी हुई है महंगाई: दास
इस बीच आरबीआइ की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के दौरान गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना था कि कुछ नरमी के बावजूद मुद्रास्फीति अस्वीकार्य और असुविधाजनक रूप से उच्च स्तर पर बनी हुई है। दास का कहना था कि शुरुआती संकेत ऐसे हैं कि मुद्रास्फीति चरम पर हो सकती है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव, अस्थिर वैश्विक कमोडिटी कीमतों और वित्तीय बाजारों से आने वाले प्रतिकूल संकेतों की वजह से अनिश्चितता बनी हुई है।
समझदारी के साथ सही उठाएंगे कदम
उन्होंने कहा था कि मुद्रास्फीति की स्थिति और आर्थिक गतिविधियों के आधार पर हम परिस्थिति के अनुसार समझदारी के साथ सही कदम उठाएंगे। एमपीसी मिनट्स से पता चला है कि समिति के सभी सदस्य डा. शशांक भिड़े, डा. आशिमा गोयल, प्रो. जयंत आर वर्मा, डा. राजीव रंजन, डा. माइकल देवव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने सर्वसम्मति से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की वृद्धि करके इसे 5.40 प्रतिशत पर लाने के लिए वोट किया।
सीपीआइ को सौंपी जिम्मेदारी
तीन से पांच अगस्त के बीच हुई एमपीसी की बैठक में डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा था कि मौद्रिक नीति कार्रवाई को पहले किए जाने से महंगाई के दबाव पर काबू पाया जा सकता है। सरकार ने एमपीसी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से नीचे बनाए रखने का काम सौंपा है। जून में सीपीआइ मुद्रास्फीति 7.01 प्रतिशत थी, जो जुलाई में घटकर 6.71 प्रतिशत पर आ गई थी।
महंगाई को काबू में करने को लेकर आरबीआइ गंभीर
अगस्त के आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 12 सितंबर को जारी किए जाने वाले हैं। बैठक के दौरान गवर्नर दास ने यह भी कहा था कि आरबीआइ का काम सबसे पहले सीपीआइ मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत के अंदर लाना है और फिर मध्यम अवधि में इसे चार प्रतिशत के लक्ष्य के करीब लाया जाएगा।