वाराणसी में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही कार्बन डाइआक्साइड गैस के उत्सर्जन को कम करने को लेकर तैयारी शुरू

वाराणसी : पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही कार्बन डाईआक्साइड गैस के उत्सर्जन को कम करने को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। दिल्ली की नामी कंपनी एनकिंग इंटरनेशनल को एजेंसी के रूप में काशी के लिए पहले ही नामित किया जा चुका है।
अब स्मार्ट सिटी व नामित एजेंसी के बीच एमओयू की तैयारी हैै। स्मार्ट सिटी के वित्त एवं लेखाधिकारी समीर तिवारी का कहना है कि अगले माह के पहले पखवारा तक एमओयू (समझौता ज्ञापन- मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग) होने की उम्मीद है। इस दिशा में एजेंसी व अन्य संबंधित विभागों के साथ बैठक कर इस दिशा में कार्य शुरू होंगे।
एमओयू के बाद सबसे पहले कार्बन क्रेडिट को लेकर कंपनियों से जुड़े लोगों व उद्यमियों को इस दिशा में जागरूक किए जाने की तैयारी है। विश्वास में लोगों को लेकर कार्बन डाईआक्साइड के उत्सर्जन कम करने का प्लेटफार्म तैयार करने की बात है। इस गैस का उत्सर्जन जितना कम होगा, उतना फायदा इस शहर को राजस्व के रूप में मिलेगा। नामित एजेंसी इसका मूल्यांकन करेगी। कार्बन क्रेडिट एक व्यापार योग्य परमिट या प्रमाण पत्र है। इसी के बदले राजस्व की प्राप्ति होगी।
इंदौर के बाद काशी में यह कार्य होने जा रहा है। किसी प्लांट में कार्बन डाईआक्साइडका उत्सर्जन कम होने पर उसे क्रेडिट सर्टिफिकेट दिया जाएगा। मूल्यांकन तय एजेंसी करेगी। रोपवे निर्माण बाद पेट्रो संचालित वाहनों की संख्या में कमी का फायदा भी काशी को मिलेगा। सीएनजी वाहनों के अधिक से अधिक संचालन पर भी इसका लाभ काशी को मिलेगा। बताया जा रहा है कि कार्बन डाईआक्साइड की रोकथाम की दिशा में हुए कार्य का भी क्रेडिट मिलेगा।
यूं प्राप्त होगी धनराशि
संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़े यूनाइटेड नेशनल फ्रेमवर्क कनेक्शन आन क्लाइमेंट चेंज (यूएनएफसीसीसी) ने कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन को रोकने के लिए मानक तय किए हैं। विकसित राष्ट्रों को इसका लक्ष्य दिया गया है। कोई देश औद्योगिक कार्य में इस सीमा को पार करता है और आगे उत्पादन जारी रखना चाहता है तो उसे ऐसे देश से कार्बन क्रेडिट क्रय करना होगा जो अपनी सीमा पार नहीं किए हैं। इसके बदले उसको धनराशि देनी होगी। कार्बन क्रेडिट का कारोबार विश्व में अरबों में बताया जा रहा है।