वाराणसी में दशाश्वमेध और शीतला घाट पर किसका स्वामित्व, किसने दी गंगा आरती की अनुमति? पुलिस ने प्रबंधक को दिया नोटिस

गंगा घाटों की देखरेख और निर्माण के साथ ही उसकी सुरक्षा संरक्षा का काम सरकार का है। निगम और सरकारी संस्थाओं के जरिए देखरेख अब तक होती रही है। लेकिन, वाराणसी में गंगा घाटों को संस्थाओं ने अपनी मिल्कियत बना ली और कमाई में जुट गए। इस आशय की बात शुरू होने के बाद वाराणसी पुलिस अब गंगा आरती करने वाली संस्थाओं पर कार्रवाई करने की तैयारी में है। पूर्व में भी गंगा आरती क के दौरान भीड़ जुटान की वजह से हादसे सामने आते रहे हैं।
वाराणसी में इन दिनों घटना-दुर्घटना की रोकथाम के लिए गंगा आरती के दौरान उपाय न अपनाए जाने के बाद विवाद खड़ा हो गया। दशाश्वमेध घाट पर नियमित गंगा आरती कराने वाली संस्था गंगा सेवा निधि के प्रबंधक को एसीपी अवधेश पांडेय की ओर से नोटिस दिया गया है। इस बाबत कहा गया है कि गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण घाटों पर जगह नहीं बची है। दशाश्वमेध पुलिस द्वारा श्रद्धालुओं की सुरक्षा व शांति व्यवस्था के मद्देनजर गंगा आरती को भव्य रूप से आयोजित किए जाने से मना किए जाने पर भी संस्था द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इससे श्रद्धालु व दर्शनार्थियों का जीवन संकट में हो सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में दशाश्वमेध एसीपी अवधेश पांडेय ने नोटिस देकर जवाब तलब किया है।
वहीं पुलिस की ओर से इस संबंध में पूछा गया है कि आयोजन स्थल दशाश्वमेध व शीतला घाट पर किसका स्वामित्व है? आयोजन की अनुमति घाट के मालिक व जिले के अधिकृत अधिकारी से प्राप्त की गई है या नहीं। वर्तमान समय में बाढ़ आपदा के दौरान गंगा आरती किए जाने की अनुमति ली है या नहीं? संख्या का निर्धारण क्या है, आयोजन के समय किसी भी घटना व दुर्घटना की रोकथाम के लिए क्या उपाय किया गया। दो दिन के अंदर नोटिस का जवाब नहीं दिया गया तो यह मानते हुए कि आपको इस संबंध में कुछ नहीं कहना है, उच्चाधिकारियों को इससे अवगत करा दिया जाएगा।