वाराणसी में किसकी शह पर चल रहे अवैध स्टैंड? बड़ा सवाल यह भी कि आखिर किसकी जेब में पहुंच रही अवैध कमाई

वाराणसी, जागरण संवाददाता। जिले में अवैध स्टैंड की कमाई जानकार बताते हैं कि ‘बड़ों’ के संरक्षण में हो रही है। सब जानकार भी नजरों के सामने यह अवैध कारोबार जारी है और सरकारी स्टैंड को चपल लगाकर अपनी जेबें भरने के लिए लोग ‘संरक्षण’ में लगे हुए है। अधिक दूर नहीं, पहला उदाहरण मालगोदाम क्षेत्र में रोडवेज डिपो के समांतर विकसित अवैध स्टैंड को ही बतौर नजी ले सकते हैं। यह क्षेत्र पहुंच वाले संरक्षणदाताओं की कृपा दृष्टि से लंबे समय से फलफूल रहा है, जिनपर कार्रवाई की जिम्मेदारी है उनका मौन ही कारोबार के संरक्षण की असल वजह है।
मालगोदाम क्षेत्र में रोडवेज डिपो के समानांतर विकसित अवैध बस स्टैंड संरक्षणदाताओं की कृपा दृष्टि से फलफूल रहा है। यहां मुख्यमंत्री के फरमान का कोई असर दिखता प्रतीत नहीं हो रहा। अभियान के बावजूद रोजाना की भांति यहां अनाधिकृत रूप से बसों का संचालन जारी है। बस माफिया का सिंडीकेट तोड़ने और प्रदेश को अवैध स्टैंड मुक्त कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ दिनों पहले अपनी मंशा जाहिर की थी। उन्होंने 48 घंटो की मोहलत देकर अवैध स्टैंड हटाने का निर्देश संबंधित विभाग के अधिकारियों को दिया था। मोहलत की मियाद पूरी हो गई, लेकिन महकमा छिटपुट कार्रवाई से ऊपर नहीं उठ सका। मालगोदाम क्षेत्र में रक्षा संपदा की भूमि पर अवैध रूप से संचालित बस स्टैंड से संबंधित विभाग अब तक अनजान बना हुआ है
डग्गामार वाहनों ने गलियों की पकड़ी राह : कैंट स्टेशन और रोडवेज क्षेत्र से संचालित अवैध वाहन स्टैंड पर सख्ती का असर महज 24 घंटे बाद ही समाप्त हो गया। खबरें चर्चा में आने के बाद सक्रिय हुए यातायात विभाग ने खदेड़ा तो वाहन संचालकों ने गलियों की राह पकड़ ली। यहां चोरी- छिपे प्राइवेट गाड़ियों का संचालन दोबारा शुरू हो गया। यह गाडियां रात आठ बजे के बाद पुराने ढर्रे पर लौट आती है। रात से लेकर अगले दिन सुबह 10 बजे तक कैंट स्टेशन, रोडवेज समेत आसपास से बिहार, झारखंड और सोनभद्र इत्यादि की सवारियां बिना रोकटोक भरी जा रही है। डग्गामारी के केंद्र रोडवेज बस स्टैंड के समीप श्रीराम बिल्डिंग भी फिर से गुलजार हो गई है। बिहार, पश्चिम बंगाल व गैर राज्यों के यात्रियों को यहीं गाडियां लगाकर भेजा जा रहा है। रोडवेज वर्कशॉप के पीछे क्रूजर और मिनी बस लगाकर संचालक चांदी काट रहे हैं।
क्या है डग्गामार वाहन : डग्गामार वाहन (प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले वाहन) वैसे तो परमिटशुदा होते हैं, लेकिन इन्हें प्रतिबंधित क्षेत्र से परिचालन से जुड़ी गतिविधियां करने की अनुमति नहीं होती। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में तत्कालीन प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर पर एक शासनादेश जारी हुआ था। जिसके तहत रोडवेज बस स्टैंड से एक किलोमीटर की परिधि में निजी वाहनों के संचालन पर पूर्णतः रोक लगाई गई है। माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी शासनादेश का अवलोकन करते हुए निजी वाहन स्वामियों को आवश्यक निर्देश दिए थे। शासनादेश के अनुसार प्रतिबंध क्षेत्र में ऑटो रिक्शा स्टैंड को भी अवैध घोषित किया गया है।
अवैध वसूली में भेजे जा चुके हैं जेल : वर्ष 2015- 16 में शहर में संचालित अवैध वाहन स्टैंड से वसूली के खेल का भंडाफोड़ हुआ था। कर्रवाई को अंजाम तक पहुंचाने तत्कालीन क्षेत्रधिकारी अनुराग आर्या की मुख्य भूमिका रही। उन्होंने अवैध वाहन स्टैंड और उसे पोषित करने वालों की पड़ताल की। इस दौरान रोडवेज, लहरतारा और भिखारीपुर व रामनगर के भी मामले सामने आए। लिप्त लोगों को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें अवैध वसूली की धाराओं में चालान कर जेल भेज दिया गया। सूत्रों की माने तो अब यह धंधा प्राईवेट व्यक्ति और विभागीय कर्मचारी की देखरेख में फिर से फलने फूलने लगा है।
रोडवेज की कमाई में सेंध : कैंट स्टेशन और रोडवेज क्षेत्र में संचालित अवैध वाहन स्टैंड से रोडवेज प्रशासन को रोजाना लाखों रुपए राजस्व की क्षति पहुंच रही है। बेहतर यात्री सुविधा और संसाधनों की बदौलत प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले वाराणसी परिक्षेत्र की आमदनी का ग्राफ गिरता जा रहा है। सम्पूर्ण बंदी के बाद खुद को साबित करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र ने औसतन 55 लाख रूपए प्रतिदिन कमाकर राजस्व वृद्धि में योगदान दिया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद आसपास क्षेत्र से बढ़ी डग्गामारी के चलते आमदनी घटकर आधी हो गई। आजमगढ, जौनपुर, प्रयागराज और बैढ़न समेत लोकल रूट पर निजी वाहन संचालकों का दबदबा बढ़ गया।
अवैध स्टैंड की शिकायत ऊपर तक : रोडवेज परिक्षेत्र के अंतर्गत संचालित अवैध स्टैंड की शिकायत उच्चाधिकारियों से की जा चुकी है। माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश पर संबंधित विभाग की ओर से व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। – केके तिवारी, क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज, वाराणसी परिक्षेत्र।