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राजस्थान-MP-UP की मनरेगा महिला मजदूरों की फरियाद:5 साल में सिर्फ 12 दिन काम, उसका भी नहीं मिला पैसा, आखिर क्या खाएं, कहां कमाने जाएं

दिल्ली के जंतर मंतर पर बारिश और चिपचिपी गर्मी के बीच देशभर से आए मनरेगा मजदूर अपनी मजबूरी, दर्द और तकलीफों को चीख-चीख कर बता रहे हैं। किसी को साल में गिने-चुने दिन ही काम मिला तो किसी को उस काम का मेहनताना भी नहीं मिला। किसी के घर रोटी के लाले हैं तो किसी घर में इकलौती महिला कमाने वाली है। आखिर क्यों अपना घर-परिवार छोड, किराया खर्च कर देश की राजधानी़ दिल्ली में धरना देने पहुंची हैं ये महिलाएं? पढ़िए वुमन भास्कर की रिपोर्ट…

ऑनलाइन सिस्टम बना जी का जंजाल
ऐप के जरिए फोटो अपलोड कराने के नियम से मनरेगा मजदूर परेशान हैं। राजस्थान के अजमेर से आईं मिस्त्री देवी ने बताया-शहर की फैक्ट्रियों में हमारे लिए कोई काम नहीं है। गांव में मनरेगा मजदूरी करती हूं, लेकिन उसका पेमेंट ऐप पर फोटो खुलने पर ही होती है। पिछले साल का बकाया अब तक नहीं मिला। ऐप की फोटो आती ही नहीं है। गांव में नेटवर्क ठीक से नहीं आते। फोटो अपलोड कराने वाले सिस्टम में आए दिन कोई न कोई दिक्कत रहती है। ऐसे में ऐप खुलता नहीं और म्हार को पेमेंट नहीं मिलता है। मिस्त्री के अलावा, कई और महिलाओं का भी आरोप है कि पूरे-पूरे दिन पसीना बहाते हैं, लेकिन ऐप पर फोटो अपलोड न होने के चलते मजदूरी कट जाती है। उस वक्त बड़ा ठगा सा महसूस करते हैं।

दिल्ली में 2 से 4 अगस्त के बीच उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा, असम, तमिलनाडु, कर्नाटक, झारखंड समेत 15 राज्यों के हजारों मनरेगा मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया। अपना किराया भाड़ा खर्च कर ये मजदूर अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए यहां आए हैं। मजदूरों में बड़ी संख्या महिलाओं की थीं।

5 किलो चावल-गेंहू में कैसे करें गुजारा?
उत्तर प्रदेश के काशीपुर से आईं मनरेगा मजदूर शीला देवी बताती हैं, ‘हमारे पास जमीन नहीं है। दो बेटे और एक बेटी है। बेटे और बहू अलग रहते हैं। मुझे पिछले 5 साल में सिर्फ 12 दिन काम मिला, लेकिन उसका पैसा आज तक नहीं मिला। राशन कार्ड से पति का नाम भी काट दिया गया है, इसलिए हर महीने मिलने वाला राशन भी आधा ही मिलता है, जोकि ऊंट के मुंह में जीरा जाने जैसा है। सरकार बताए, आखिर हम क्या खाएं और इस उम्र में अपना घर छोड़कर कहां कमाने जाएं?

शीला देवी कहती हैं कि सरकार हर महीने 5 किलो गेंहू-चावल देती है, जबकि एक इंसान पूरे महीने में कम से कम 15 किलो अनाज खाता है। सरकार से मांग है कि गेंहू-चावल प्रति यूनिट 15 किलो दिए जाएं।

उम्र ढल रही और महंगाई बढ़ रही
बिहार के सीवान की रहने वाली मनरेगा मजदूर कल्पा देवी बताती हैं कि न मकान है और न जमीन। साल में सौ दिन छोड़िए, 50 दिन भी ठीक से काम नहीं मिलता। लोगों के खेतों में जाकर मजदूरी करती हूं, तब कहीं घर में दो वक्त चूल्हा जलता है। बारिश के मौसम में अगर बाढ़ आ गई तो दो वक्त के खाने के भी लाले पड़ जाते हैं। कई बार आला अधिकारियों से फरियाद भी की, लेकिन कोई नहीं सुनता। उम्र ढल रही है और महंगाई बढ़ रही है। कमाई का कोई दूसरा साधन नहीं। ऐसे में कई दफा तो यह सोचकर डर जाती हूं कि अगर हारी-परेशानी हो गई तो क्या बिना इलाज और खाने के ही मर जाऊंगी।

किस राज्य में मिलती है कितनी मनरेगा मजदूरी?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत अकुशल ग्रामीण लोगों को काम दिया जाता है, लेकिन इसके तहत हर राज्य में अलग-अलग मजदूरी तय है। राज्य सरकारों की न्यूनतम मजदूरी दर को देखने से पता चलता है कि मनरेगा में इससे भी कम पैसा मिलता है। जैसे- केरल में न्यूनतम मजदूरी 490 रुपए है, जबकि मनरेगा मजदूर को 311 रुपये ही मिलते हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी 367 है, जबकि मनरेगा के तहत 213 रुपये ही दिए जाते हैं। बता दें कि मनरेगा का बजट 61 हजार करोड़ का बजट था, जिसे कोरोना काल में बढ़ाकर 111 करोड़ दिया गया था। वहीं साल 2022-23 का अनुमानित बजट 73 हजार करोड़ रुपये है।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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