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ये शास्त्री ही थे, जिनकी अगुवाई में भारतीय सेनाएं पहुंच गईं थी लाहौर, कर सकती थीं कब्जा

11 जनवरी को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है. 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में हीरो बनने के बाद वो समझौते के लिए सोवियत शहर ताशकंद गए थे. वहीं उनकी मृत्यु हो गई. ये बात सही है कि उनके आदेश पर भारतीय सेनाओं ने ना केवल पाकिस्तान की कमर तोड़ी थी बल्कि उन्होंने लाहौर को घेर लिया था. चाहते तो इस शहर पर कब्जा भी कर सकते थे.

11 जनवरी 1966 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का असामयिक निधन हो गया. ये इतना अप्रत्याशित था कि किसी की समझ में नहीं आया कि ऐसा कैसे हो गया. शास्त्री 1965 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध के बाद शांति समझौते के लिए ताशकंद गए थे. उस युद्ध में भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान को घबराहट में डाल दिया था. भारत की फौजें लाहौर के बाहर खड़ी थीं. अगर इशारा होता तो इस शहर पर भारत का कब्जा हो जाता.

1965 में जब लाल बहादुर शास्त्री ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से भाषण दिया तो कश्मीर पर पाकिस्तान के छिटपुट हमले शुरू हो चुके थे. जंग के आसार नजर आ रहे थे. कुछ दिनों बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने सामने थीं. जब जंग शुरू हुई तो शुरू में भारतीय सेनाएं कुछ रक्षात्मक थीं लेकिन युद्ध खत्म होते होते वो विजेता वाली स्थिति में आ चुकी थीं.07 सिंतबर 1965 को “टाइम्स ऑफ इंडिया” ने पहले पेज पर सुर्खियों में छापा, “अवर ट्रुप्स आन आउटस्क्रिप्ट्स ऑफ लाहौर”. ये घटना 06 सितंबर की थी. उस दिन भारतीय सेनाओं ने पंजाब की ओर पाकिस्तान में तितरफा आक्रमण किया.

पाकिस्तान पर तितरफा अटैक हुआ
ये अटैक अमृतसर, फिरोजपुर और गुरदासपुर से किया गया. हमला इतना तेज था कि उसमें रास्ते में पड़ने वाले पाकिस्तानी सेना के कैंप, बेस सभी तबाह हो गए.
भारतीय वायुसेना भरपूर तरीके से थलसेना को कवर करके इस अटैक को दोगुनी धार दे रही थीं. भारतीय सेना जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी. पाकिस्तान में घबराहट भी बढ़ रही थी. जब सूर्यास्त होने वाला था तो भारतीय सेना लाहौर के बाहरी इलाके तक पहुंच चुकी थीं

शास्त्री ने कहा-जंग छिड़ चुकी है

लाहौर-सियालकोट-झेलम एरिया में पाकिस्तानी सेना की कमर टूट चुकी थी. वो छिन्न भिन्न हो चुकी थी. भारत ने पहली बार पाकिस्तान को उसके हमलों का ऐसा भरपूर जवाब दिया था कि उससे ये झेलते नहीं बना. उसी दिन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा लड़ाई छिड़ चुकी है और देश को अब इसके लिए तैयार रहना चाहिए. इसके बाद देश में मुंबई समेत कई इलाकों में ब्लैक आउट का आर्डर हो गया.

पाकिस्तान की तेल से भरी ट्रेन धू-धूकर जलने लगी
06 सितंबर को भारतीय वायुसेना ने भी वजीराबाद और गुजरावांला के बीच पाकिस्तान की आयल टैंकर ट्रेन को उड़ा दिया था. पूरी ट्रेन धू-धूकर जलने लगी. इसके बाद लाहौर की सेना की रसद लेकर पाकिस्तान की एक और माल गाड़ी को तबाह कर दिया गया. पाकिस्तान ने जरूर उस दिन अपनी वायुसेना को आगे किया लेकिन उसके पास भारतीय आक्रमण का कोई जवाब नहीं था.

पाकिस्तान को अंदाज नहीं था कि ऐसा भारत अंदर घुस आएगा
ये प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का पाकिस्तान को ऐसा जवाब था, जिसके लिए वो तैयार नहीं था. उसे अंदाज भी नहीं था कि कश्मीर पर उसके आक्रमण और हमलों का जवाब भारत से ऐसा मिलेगा कि उसकी कमर ही टूट जाएगी.

बंद करना पड़ा लाहौर रेडियो स्टेशन
पाकिस्तान में घबराहट इतनी ज्यादा थी कि लाहौर रेडियो स्टेशन को कई घंटों के बंद करना पड़ गया. भारतीय फौजों ने जिस तरह से हर मोर्चे पर बढ़त ले ली थी. देर रात तक सेना की गतिविधियां चलती रहीं. वो प्रधानमंत्री की सेना के साथ बनाई गई साहसिक रणनीति का ही परिणाम था. इसने पाकिस्तान के रुख को एकदम ठंडा कर दिया. उसे बचाव की मुद्रा में आकर अमेरिका को गुहार लगानी पड़ी.  बाद में ये हालात बने कि पाकिस्तान के शासक अयूब खान को समझौता करने पर मजबूर होना पड़ा.

एक दिन पहले हमला होता तो पाकिस्तान का ज्यादा नुकसान होता
पत्रकार कुलदीप नैयर की किताब “बियांड द लाइंस : एन ऑटोबॉयोग्राफी” में लिखा, अगर भारतीय सेनाओं ने 06 सितंबर से एक दिन पहले ही हमला किया होता तो भारतीय सेना को और फायदा हो सकता था. लेकिन 06 सितंबर को भारतीय सेना तब हरकत में आई जबकि पाकिस्तानी वायुसेना ने पठानकोट हवाई अड्डे पर हमला करके भारत में 13 विमानों को ध्वस्त कर दिया.

शास्त्री के पाकिस्तान के अंदर घुसने के आदेश पर सेना दंग रह गई 
तब शास्त्री ने अंतरराष्ट्रीय सीमा को लांघने का आदेश दिया. हालांकि सेना के शीर्ष अधिकारी प्रधानमंत्री के इस आदेश पर दंग थे. ये सच है पाकिस्तान से उस लड़ाई के बाद शास्त्री पूरे देश के हीरो बन गए. लड़ाई के बाद उनका कद बहुत ऊंचा हो गया था.

आखिर क्यों भारत ने लाहौर पर कब्जा नहीं किया
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि लाहौर के इतने करीब पहुंचने के बाद भी भारतीय सेना ने आखिर पाकिस्तानी शहर पर कब्जा क्यों नहीं किया. कुलदीप नैयर अपनी किताब में लिखते हैं कि मैने जब बाद में लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह से बात की कि भारत ने लाहौर पर कब्जा क्यों नहीं किया तो उनका कहना था हमले से पहले ही हमने तय कर लिया था कि लाहौर पर कब्जा नहीं करना है. हमारा ऐसा कोई सैनिक लक्ष्य नहीं था. शायद इसलिए भी क्योंकि भारत को लाहौर पर कब्जे की स्थिति में अपनी अच्छी-खासी सेना को वहीं रखना पड़ता. इसका कोई फायदा नहीं था.

अगर लाहौर पर कब्जा होता तो युद्ध ड्रा नहीं माना जाता
लेकिन भारत द्वारा लाहौर पर कब्जा नहीं कर पाने के कारण विदेशों में इस लड़ाई को ड्रा घोषित कर दिया गया था.

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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