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यूपी की सहकारी समितियां होंगी समृद्ध, एप से जोड़कर करेंगे अपग्रेड : मंत्री जेपीएस राठौर

वाराणसी। सहकारी समितियां किसानों को हर सुविधाएं प्रदान करती हैं। धान-गेहूं खरीदने और खाद-बीज वितरण समितियां करती हैं। उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, लैंड डेवलपमेंट बैंक किसानों को लोन देते हैं। इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के बावजूद पूर्वांचल की साधन सहकारी समितियां दम तोड़ रही हैं। 1980-90 का दशक इन समितियों का स्वर्णिम काल माना जाता है, लेकिन घपले-घोटाले के कारण समितियां पहचान खोती गईं। अब एक बार फिर समितियों का स्वर्णिम काल में लौटाने की योजना पर काम शुरू किया जा रहा है। ऐसे में तमाम चुनौतियों और तैयारियों पर प्रदेश के सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर से दैनिक जागरण के संवाददाता अरुण कुमार मिश्र की बातचीत…

सवाल – पश्चिम की तुलना में पूर्वांचल की सहकारी समितियां कमजोर हैं। कैसे बहुरेंगे दिन?

जवाब – निश्चित रूप से पश्चिम की तुलना में पूरब के जिला सहकारी बैंक की दशा खराब है। उत्तर प्रदेश में कुल 50 सहकारी बैंक हैं। आरबीआइ ने लाइसेंस निरस्त कर दिया था। इसी सरकार के पिछले कार्यकाल में प्रयास शुरू किए गए थे। अब लाइसेंस बहाल हुए हैं। अब धीरे-धीरे स्थितियां ठीक करने का प्रयास करेंगे। समितियों में काफी घपले-घोटाले हुए जिसकी वजह से लैंड डेवलमेंट बैंक (एलडीबी) आदि से दिए गए लोन समय पर जमा नहीं कराए गए। इसकी वजह से पूरा तंत्र ही रुक गया।

सवाल – समितियों (पैक्स) के हालात बदलने की क्या योजना है?

जवाब – साधन सहकारी समितियों के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रयास कर रहे हैं। गेहूं और धान की खरीद के 72 घंटे में भुगतान किया जा रहा है। मुझे ये बताने में खुशी हो रही है कि 80 से 90 प्रतिशत किसानों को 72 घंटे के भीतर भुगतान किया जा रहा है, जो कि पिछले समय में 30 से 40 प्रतिशत होता था। आज विभागीय अधिकारी भी काम कर रहे हैं। नैनो यूरिया में कमीशन बढ़ाकर देने पर काम कर रहे हैं। अभी 20 रुपये प्रति बोतल दे रहे हैं। इसे 30 रुपये करने की बात कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त समितियों पर मैन पावर की कमी है। स्थाई सचिव नहीं है। कंप्यूटर आपरेटर समेत एक सहयोगी भी रखने की तैयारी है।

सवाल- समितियों के आधुनिकीकरण के बारे में क्या विचार हैं?

जवाब- उसके लिए पूरी एक योजना है। अभी हर साधन सहकारी समिति कंप्यूटरीकृत नहीं होगी लेकिन मोबाइल के माध्यम से एक एप विकसित करके सभी समितियों को अपग्रेड करेंगे। उससे जोड़ेंगे। इससे समितियों के प्रतिदिन की रिपोर्टिंग मिलेगी। यानी खाद-गेहूं बेचने, आने, खरीदने, भुगतान की जानकारी रहेगी। यह काम प्रतिदिन के स्तर पर जब होगा तो छह महीना साल भर में सब ठीक हो जाएगा।

सवाल- सभी सहकारी बैंकों को आपस में जोडऩे की भी योजना है?

जवाब – मेरे मन में विचार है कि उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, लैंड डेवलपमेंट बैंक को किसी न किसी तरीके से आपस में जोड़ दें। इसके बाद इंटरनेट बैंकिंग की व्यवस्था सभी स्तर पर चालू कर देें।

सवाल – आज सहकारी बैंकों को समृद्ध करना काफी चुनौतीपूर्ण है?

जवाब – दो साल में सहकारी बैंकों को पटरी पर लाना है। अधिकारियों को निर्देशित किया है कि खाताधारकों को तीन प्रकार के खाते ए, बी और सी श्रेणी में विभाजित करें। सक्षम खाताधारकों को ए श्रेणी में रखें। बी श्रेणी में मुश्किल से लोन देने वालों को रखा जाए। सी श्रेणी में वे होंगे जो किसी भी स्थिति में लोन नहीं देंगे। ऐसा करके वसूली का अभियान चलाएंगे। इसको लेकर समाधान योजना (वन टाइम सेटलमेंट) लागू किया है। यह एक अप्रैल से 30 सितंबर तक है। इसका लाभ लिया जा सकता है।

सवाल – कौन से बैंक प्राथमिकता में हैं जिसका सुधार किया जाना है?

जवाब – वाराणसी और गाजीपुर सहकारी बैंक को एक साल के भीतर बेहतर करेंगे। मेरी कोशिश है कि हर साल चार-पांच सहकारी बैंकों के हालात सुधारे जाएंं। पांच साल में बहुत कुछ अच्छा हो जाएगा।

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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