महादेव की प्रसन्नता के लिए किया जाने वाला बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को, जान लें व्रत के समस्त विधान और मान्यताएं

देवाधिदेव महादेव की विशेष अनुकंपा प्राप्ति के लिए शिव पुराण में विविध व्रतों का उल्लेख किया गया है। इसमें प्रदोष व्रत को बहुत ही प्रभावशाली और शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। भगवान शिव प्रदोष व्रत के उपास्य देवता हैं। इस बार प्रदोष 24 अगस्त को मिल रहा है। भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी तिथि 24 को सुबह 8.31 बजे लग रही है जो 25 अगस्त को सुबह 10.28 बजे तक रहेगी। ऐसे में प्रदोष व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा।
ज्योतिर्विद विमल जैन के अनुसार प्रदोष हर मास में दो बार आता है। शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी के दिन व्रत किया जाता है। प्रदोष काल का समय सूर्यास्त से 48 या 72 मिनट तक माना गया है। प्रदोष काल में विधि-विधान से देवाधिदेव का उत्तराभिमुख होकर पूजन-अर्चन किया जाता है।
तिथि विशेष पर ब्रह्मï मुहूर्त में दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान, ध्यान, पूजन, अर्चन कर जल-पुष्प, गंध-कुश आदि लेकर प्रदोश व्रत के लिए संकल्पित होना चाहिए। दिन भर निराहार रह कर शाम को पुन: स्नान ध्यान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। उत्तर मुख बैठ कर भगवान शिव की पंचोपचार, षोडशोपचार या दशोपचार पूजन करना चाहिए। भगवान का विधि-विधान से अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगंधित द्रव्य, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतु अनुसार पुष्प, नैवेद्य अर्पित कर धूप-दीप के साथ पूजन-अर्चन करना चाहिए। मस्तक पर भस्म और तिलक लगा कर शिव जी के पूजन से आराधना शीघ्र फलदायी मानी जाती है। भगवान शिव की अनुकंपा के लिए स्कंद पुराण में उल्लेखित प्रदोष व्रत कथा का पाठ या श्रवण करना चाहिए। मान्यता है कि प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त पापों का शमन होता है। सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि होती है। यह व्रत महिलाएं व पुरुष दोनों कर सकते हैैं।
दिवस वार प्रदोष व्रत फलदायी : शास्त्रों में प्रदोष व्रत का दिवस वार फल बताया गया है। इसमें रवि प्रदोष से आयु, आरोग्य, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। सोम प्रदोष से शांति व रक्षा, भौम प्रदोष से कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष से मनोकामना पूर्ति, गुरु प्रदोष से विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष से आरोग्य-सौभाग्य व मनोकामना पूर्ति, शनि प्रदोष से पुत्र सुख की प्राप्ति होती है। अभीष्ट की प्राप्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष की समस्त त्रयोदशी में व्रत या मनोकामना पूर्ति तक प्रदोष व्रत का विधान है।