
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली भंग होने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि अब देश का प्रधानमंत्री कौन है। राष्ट्रपति के नोटिफिकेशन से स्पष्ट है कि इमरान खान अब भी देश के PM हैं। इमरान केयरटेकर PM की नियुक्ति तक इस पद पर बने रहेंगे, लेकिन बड़े फैसले नहीं ले सकेंगे।
ऐसे में आइए जानते हैं कि इमरान खान कब तक पाक के PM बने रहेंगें? केयरटेकर PM का चुनाव कौन करेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का क्या असर होगा?
नेशनल असेंबली भंग होने के बाद अब पाक का प्रधानमंत्री कौन है?
- पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर ने रविवार को इमरान खान के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने के साथ ही सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। डिप्टी स्पीकर ने कहा कि विपक्ष ने विदेशी ताकतों के कहने पर यह अविश्वास प्रस्ताव लाया है।
- इसके बाद इमरान खान ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को नेशनल असेंबली भंग करने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने आदेश जारी कर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है।
- पाकिस्तान में नेशनल असेंबली को संविधान के आर्टिकल 58 के तहत ही भंग किया जा सकता है। हालांकि, संविधान में 18वें संशोधन से पहले खुद राष्ट्रपति ऐसा कर सकते थे, लेकिन अब यह प्रधानमंत्री की सलाह के बाद ही हो सकता है।
- नेशनल असेंबली भंग होने के बाद सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इमरान खान अब भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री हैं। इस एक्सपर्ट कहते हैं कि जब तक केयरटेकर सरकार का गठन नहीं हो जाता तब तक प्रधानमंत्री का अपना पद अभी मौजूद है।
- संविधान के आर्टिकल 224 के तहत इमरान केयरटेकर PM चुने जाने तक, यानी 15 दिनों तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य जारी रख सकते हैं। इमरान के पास इस दौरान बड़े फैसले लेने का अधिकार नहीं होगा। आर्टिकल 224 के मुताबिक, एक बार जब प्रेसिडेंट नोटिफिकेशन जारी कर देता है तो प्रधानमंत्री की सिलेक्टिव एडमिनिस्ट्रेटिव पावर्स खत्म हो जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला विपक्ष या इमरान के पक्ष में आने पर क्या होगा?
- पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे सियासी घटनाक्रम का स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट इस बात पर फैसला करेगी की नेशनल असेंबली में डिप्टी स्पीकर की अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने की प्रक्रिया लीगल यानी वैध थी या नहीं।
- पाकिस्तान के संविधान का आर्टिकल 69 न्यायपालिका को विधायिका के कार्य में हस्तक्षेप से रोकता है। हालांकि, पाकिस्तान के लीगल एक्सपर्ट सरूप एजाज कहते हैं कि सदन के भीतर कोई कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गई है तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट खुद भी इसे कई बार दोहरा चुका है।
- लीगल एक्सपर्ट मुनीब फारूक ने इमरान द्वारा नेशनल असेंबली भंग करने के कदम को पूरी तरह से असंवैधानिक बताया। ऐसे में माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट विपक्ष के पक्ष में फैसला सुनाए।
- ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट ये कह सकता है कि सारी कार्यवाही ही गलत हुई है और पूरे मामले को डिप्टी-स्पीकर के फैसले से पहले ले जाना होगा यानी इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करवानी होगी।
- इस स्थिति में विपक्ष को फायदा होगा, क्योंकि अभी नेशनल असेंबली में विपक्ष के पास बहुमत है और इमरान को इस्तीफा देना पड़ेगा। साथ ही विपक्ष की ओर से शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बन जाएंगे।
- यदि सुप्रीम कोर्ट कहता है कि हम डिप्टी स्पीकर के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। इस स्थिति में विपक्ष और प्रधानमंत्री मिलकर केयरटेकर पीएम को चुनेंगे और केयरटेकर पीएम को 90 दिन के अंदर चुनाव कराना होगा।
पाकिस्तान में केयरटेकर प्रधानमंत्री को कैसे चुना जाएगा?
- नेशनल असेंबली भंग होने के बाद अब सवाल यह है कि पाकिस्तान में केयरटेकर यानी कार्यवाहक प्रधानमंत्री को कैसे चुना जाएगा और आम चुनाव कब तक होंगे। जैसा कि पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल 224 में कहा गया है कि नेशनल असेंबली भंग होने के 15 दिन में केयरटेकर पीएम को चुना जाना चाहिए।
- केयरटेकर PM का गठन भी आर्टिकल 224 के तहत ही होता है। आर्टिकल 224 के सबडिवीजन के मुताबिक, आर्टिकल 58 के तहत नेशनल असेंबली भंग होने पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता की सलाह पर केयरटेकर सरकार का गठन करेंगे। केयरटेकर सरकार के गठन के लिए प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता की सहमति के बाद ही हो सकता है।
- आर्टिकल 224 के मुताबिक, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता को नेशनल असेंबली भंग होने के तीन दिन में केयरटेकर PM को चुनना होता है। हालांकि, विशेष परिस्थिति में इस 15 दिनों में करना ही होता है। केयरटेकर PM के नाम पर सहमति हो जाने पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति की मंजूरी भी जरूरी होती है। हालांकि, प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता की सहमति के बाद राष्ट्रपति अपनी मंजूरी दे देते हैं।
इमरान खान और विपक्ष के बीच यदि केयरटेकर PM पर सहमति नहीं बनी तो क्या होगा?
- पाकिस्तान में केयरटेकर PM के लिए इमरान और विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ के बीच सहमति होना काफी मुश्किल माना जा रहा है। ऐसे में फिर सवाल खड़ा होता है कि प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता यदि केयरटेकर PM के लिए किसी एक नाम पर सहमत नहीं हुए तो क्या होगा।
- एक्सपर्ट के मुताबिक इसकी भी एक प्रक्रिया है। ऐसा होने की स्थिति में ये मामला 8 सदस्यों वली पार्लियामेंट्री कमेटी के पास जाएगा। नेशनल असेंबली अभी भंग की जा चुकी है। ऐसे में इसमें कौन से सदस्य शामिल होंगे।
- एक्सपर्ट कहते हैं कि संविधान में कहा गया है कि इस कमेटी में नेशनल असेंबली के सदस्यों के साथ सीनेट के भी सदस्य शामिल हो सकते हैं। इस कमेटी में सरकार के 4 और विपक्ष के 4 सदस्यों का शामिल होना जरूरी होता है। साथ ही भंग हो चुकी नेशनल असेंबली के स्पीकर ही इस कमेटी का गठन करते हैं।
- संविधान के आर्टिकल 53 के मुताबिक जब तक नई असेंबली में नए स्पीकर का चुनाव न हो जाए तब तक मौजूदा स्पीकर पद पर बने रहते हैं।
- प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता इस कमेटी के लिए चार-चार सदस्यों को नामित करते हैं। इसके बाद कमेटी के सामने दो नाम प्रधानमंत्री और दो नाम विपक्ष के नेता सुझाते हैं। इस पर फैसला करने के लिए कमेटी के पास 3 दिन होता है।
- एक्सपर्ट का कहना है कि कमेटी गठित होने के तीन दिन में यदि कोई फैसला नहीं होता है तो फिर ये मामला चुनाव आयोग के पास जाता है। चुनाव आयोग को 2 दिन के अंदर-अंदर केयरटेकर PM के नाम का ऐलान करना होता है। केयरटेकर PM बनने के बाद सरकार को 90 दिन के अंदर चुनाव करवाने होते हैं।