भारत के कई राज्यों में बाढ़, यूरोप में 500 साल का सबसे बड़ा सूखा; जानिए- मौसम में इस बदलाव की असल वजह

नई दिल्ली, रंजना मिश्र। हाल में आर्कटिक क्षेत्र को लेकर फिनलैंड के मौसम विभाग ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। उसमें बताया गया है कि अन्य क्षेत्रों की तुलना में आर्कटिक क्षेत्र के तापमान में चार गुना ज्यादा तेजी से वृद्धि हो रही है। उद्योगीकरण और मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न ग्रीनहाउस गैसों के ग्लोबल वार्मिंग यानी दुनिया के तापमान में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि, यह वृद्धि अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग है, पर इस बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव ध्रुवीय क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है। ध्रुवीय क्षेत्रों के तापमान में वृद्धि की यह घटना सबसे अधिक उत्तरी ध्रुव यानी आर्कटिक क्षेत्र पर देखने को मिल रही है, जिसके कारण वहां की बर्फ लगातार पिघल रही है।
सवाल है कि आखिर आर्कटिक क्षेत्र का ही तापमान इतनी तेजी से क्यों बढ़ रहा है, दुनिया के अन्य क्षेत्रों का क्यों नहीं? दरअसल, पहले सूर्य से पृथ्वी पर आनी किरणों जब आर्कटिक क्षेत्र के बर्फ पर गिरता थीं, तो उसमें से लगभग 80 प्रतिशत किरणों का रिफ्लेक्शन हो जाता था और केवल 20 प्रतिशत किरणों को ही बर्फ अवशोषित करती थी। विज्ञानियों के अनुसार, इस क्षेत्र में प्रकाश का रिफ्लेक्शन अब कम हो रहा है, जिससे इस क्षेत्र की सतह तेजी से गर्म हो रही है। इसी कारण वहां बर्फ अधिक तेजी से पिघल रही है।
इसका दूसरा कारण यह है कि समुद्र पृथ्वी के अलग-अलग क्षेत्रों में तापमान को संतुलित करने के लिए भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर ऊष्मा को स्थानांतरित करते हैं। इससे भूमध्य रेखा के क्षेत्र में तापमान संतुलित हो जाता है, लेकिन इस घटना से अतिरिक्त ऊष्मा ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर चली जाती है। इसी वजह से भी आर्कटिक क्षेत्र में तापमान ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। बर्फ पिघलने से आर्कटिक पर जीवन बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। बर्फ पिघलने से उसमें मौजूद निष्क्रिय बैक्टीरिया वापस वातावरण में आकर नई-नई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं। यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते तापमान का असर भारत सहित पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। भारत में भी पिछले कुछ वर्षों से मौसम की घटनाओं में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। भारत अपने जल एवं खाद्य संबंधी जरूरतों के लिए प्रमुख तौर पर वर्षा एवं मानसून पर निर्भर है।
साल 2021 में भारत और नार्वे के विज्ञानियों द्वारा मिलकर एक अध्ययन किया गया था, जिसमें बताया गया कि आर्कटिक क्षेत्र में मौजूद दो सागर-बेरेंट सागर और कारा सागर में स्थित बर्फ के पिघलने का दुष्प्रभाव भारत में मानसून पर पड़ रहा है। इससे कहीं अचानक भारी बारिश हो रही है, जो बाढ़ का कारण बन रही है तो कहीं सूखे जैसे हालात बन रहे हैं। इससे न सिर्फ खेती प्रभावित हो रही है, बल्कि समुद्र का स्तर भी अन्य क्षेत्रों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।