भदोही में वन विभाग ने बलभद्रपुर से पकड़ी बिना वारिस की हथिनी, वन संरक्षण अधिनियम में एक को जेल

जागरण संवाददाता, भदोही : वन विभाग ने बुधवार को एक ऐसी हथिनी को बरामद किया है जिसका कोई वारिस नहीं है। उसका दावा कर रहे बलभद्रपुर, ज्ञानपुर निवासी शैलेश तिवारी उर्फ मोने को वन संरक्षण अधिनियम के तहत विभाग ने जेल भेज दिया। जबकि हथिनी को सुपुर्दगी में ले लिया है। हालांकि उसी गांव के धर्मेंद्र तिवारी ने उस पर मालिकाना हक जताते हुए कागजात दिखाया लेकिन विभाग उसे वैध नहीं मान रहा है। विभाग ने पकड़ी गई हथिनी की रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट में पेश की है, जबकि खुद को वन्य जीव का मालिक बताने वाले ने भी कोर्ट में दावा पेश कर दिया है। मामले की तारीख 30 मई को पड़ी है।
वन रेंजर ज्ञानपुर रिचेश मिश्र न बताया कि 23 मई को उच्चाधिकारियों को सूचना मिली कि ज्ञानपुर क्षेत्र के बलभद्रपुर गांव में शैलेश तिवारी उर्फ मोने के यहां एक हथिनी बंधी है जिसका कोई वारिस नहीं है। उच्चाधिकारियों के निर्देश पर रात्रि में पहुंची टीम को एक घर के सामने हथिनी बंधी मिली। वहां मौजूद शैलेश ने उसे अपना बताया। कागजात मांगने पर वह कुछ नहीं दिखा सका। वन विभाग की टीम हाथी को अपने साथ ज्ञानपुर स्थित वनाधिकारी कार्यालय ले आई। वहीं शैलेश को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ वन्य जीव अधिनियम 1972 के तहत मुकदमा दर्ज किया। उधर दूसरे दिन धर्मेंद्र तिवारी कागजात लेकर कार्यालय पहुंचे और दावा किया कि यह हथिनी उसकी है, उसने हाटा, जनपद कुशीनगर निवासी कृष्णबिहारी वर्मा से इसे पांच नवंबर 2002 को खरीदा है। उसने बेचीनामा भी दिया। उसने कागजात में यह भी दिखाया कि कृष्ण बिहारी ने इसे तीन दिसंबर 2001 को सोनपुर सीतामढ़ी बिहार से खरीदा था। उसने वहां की रसीद भी प्रस्तुत की पर विभाग मानने को तैयार नहीं था। अंत में धर्मेंद्र तिवारी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में हथिनी का मालिकाना हक के लिए दावा पेश किया। मामले की तीस मई को तारीख पड़ी है।
हथिनी के सारे कागजातों की जांच की गई लेकिन वह वैध नहीं है
हथिनी के सारे कागजातों की जांच की गई लेकिन वह वैध नहीं है। इसकी रिपोर्ट विभाग ने सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत कर दी है। अब न्यायालय से ही यह निर्धारित होगा कि हथिनी का मालिक कौन है। वैसे हथिनी को विभाग ने सुपुर्दगी में रखा है।
रिचेश मिश्र, वन रेंजर, ज्ञानपुर