पुुरबिया आम के मुरीद हुए पंजाब-महाराष्ट्र के बागवान, समय से पहले तैयार होते हैं यहां के आम

गोरखपुर, जितेन्द्र पाण्डेय। अपने बेजोड़ स्वाद से मुंह में मिठास भरने वाले पुरबिया आमों की खुशबू बिहार, पंजाब और महाराष्ट्र के बागवानों को भी रिझाने लगी है। बस्ती के बंजरिया स्थित इंडो-इजराइल प्रोजेक्ट की नर्सरी में तैयार गौरजीत, पूसा सूर्या, पूसा पीतांबरा, पूसा अंबिका और टामी एटकिंस आदि प्रजातियों के पांच हजार से अधिक आम के पौधे अब तक दूसरे राज्यों में भेजे जा चुके हैं।
तीन से पांच वर्षों में ही फल देने वाली इन प्रजातियों की पैदावार सामान्य से डेढ़ गुना अधिक है। दूसरे राज्यों से बस्ती आकर इन्हें खरीदने वालों में सिर्फ बागवान नहीं किसान और अधिकारी भी शामिल हैं।
बस्ती की बंजरिया नर्सरी में तैयार आम के पौधों की महाराष्ट्र, बिहार और पंजाब से आ रही मांग
बस्ती के फल उत्कृष्टता केंद्र से इस साल 825 पौधे मुंबई ले जाने वाले युद्धस्त कुमार जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) में ज्वाइंट कमिश्नर हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान व्यय प्रेक्षक के रूप में बस्ती प्रवास के दौरान उन्होंने आम की प्रजाति और नर्सरी के बारे में सुना और देखा। इसके बार इन पौधे को मुंबई मंगाकर बाग लगाने की योजना है।
महाराष्ट्र के अहमदनगर निवासी अराटे नामदेव और पंजाब, लुधियाना के बलतेज सिंह ने अपने परिचितों से आमों की इन प्रजातियों के बारे में सुना था। नामदेव ने 320 तो बलतेज ने भी तकरीबन 100 पौधे मंगाए हैं। इतना ही नहीं 2025 पौधे बिहार के पश्चिमी चंपारण भी भेजे गए हैं। प्रदेश के बाहर आम के पौधों की मांग होने से उद्यान विभाग भी उत्साहित है।
हर साल 50 हजार पौधे हो रहे तैयार
बस्ती के फल उत्कृष्टता केंद्र में गौरजीत, पूसा सूर्या, पूसा पीतांबरा, पूसा अंबिका, टामी एटकिंस प्रजाति के 50 हजार पौधे हर साल तैयार हो रहे हैं। इसमें से कई प्रजातियों को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, फल अनुसंधान संस्थान, रहमान खेड़ा ने रिलीज किया है। बस्ती में मदर प्लांट के जरिए बड़े पैमाने पर तैयार किया जा रहा है।
बस्ती में करीब एक दशक से आम को लेकर अ’छा काम हो रहा है। केंद्र से किसानों को बिना के पौधे दिए जाते हैं, जबकि अन्य स्थानों पर लोगों को अधिक कीमत देनी पड़ती है। इसलिए लोगों की मांग रहती है कि वह पौधे बस्ती से लेंगे। – अतुल सिंह, संयुक्त निदेशक उद्यान, बस्ती।
यह है प्रजातियों की विशेषता
पूसा अरुणिमा : आम की यह लेट वेरायटी है, जो रोपण के चार वर्ष बाद फल देती है। इसका फल देर से पकता है। इसमें छिलका लाल और आकर्षक होता है। यह विटामिन सी बीटा-कैरोटीन से भरपूर है।
पूसा सूर्या : हर साल फलने वाली प्रजाति आम्रपाली और उत्तरी भारत के अन्य प्रजातियों में श्रेष्ठ है। रोपण के 3-4 वर्ष में फलने लगती है। यह जुलाई के तीसरे सप्ताह तक पक जाती है। इसका फल बड़ा होता है।