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पीएम मोदी संग ममता दीदी की ‘निजी बैठक’, समझिए 180 डिग्री घुमाव वाली इस राजनीति के मायने

जयकृष्ण वाजपेयी। इसे वक्त की नजाकत कहें या फिर बदले हुए हालात। राजनीति में कब क्या हो जाए.. कुछ कहा नहीं जा सकता। इसका सबसे बड़ा प्रमाण मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का हालिया दिल्ली दौरा है। दो महीने भी नहीं हुए हैं, लेकिन ममता की दिल्ली यात्र में 180 डिग्री घुमाव वाली राजनीति दिखने को मिली है। इससे पहले तृणमूल सुप्रीमो 14 जून को दिल्ली गई थीं और वहां पहुंचने के साथ ही सबसे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मिली थीं। फिर अगले दिन 17 विपक्षी दलों के साथ राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार तय करने के लिए बैठक की थी और विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया था। परंतु विपक्षी एकता बनने से पहले ही बिखर गई। इसी का नतीजा रहा कि ममता बनर्जी की दिल्ली में मौजूदगी के बावजूद उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के रात्रिभोज से लेकर मतदान तक से तृणमूल पूरी तरह दूर रही।

इस बार ममता लगभग साढ़े तीन दिन दिल्ली प्रवास पर रहीं, लेकिन विपक्षी दलों के एक भी नेता से नहीं मिलीं। इसके बाद रविवार शाम कोलकाता लौट गईं। वहीं दूसरी ओर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वह तीन बार मिलीं। पहली बार शुक्रवार को प्रधानमंत्री से उनके आवास पर लगभग 45 मिनट एकांत में बैठक के बाद वहां से चुपचाप निकल गईं।

यह बात उल्लेखनीय इसलिए भी है, क्योंकि पहले प्रधानमंत्री से मिलने के बाद वह मीडिया से बात करती थीं, परंतु इस बार दिल्ली में एक बार भी वह खुलकर मीडिया के सामने नहीं आईं। केवल उनकी पार्टी की ओर से यह जानकारी दी गई कि मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र सौंपकर राज्य का बकाया भुगतान करने की मांग की है। इसे लेकर माकपा और कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि ऐसी आधिकारिक बैठकों में राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों का होना आवश्यक होता है। क्यों निजी तौर पर मुलाकात हुई? इसके बाद दो आधिकारिक कार्यक्रमों में भी ममता और मोदी की मुलाकात हुई। पहली, शनिवार को ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम और दूसरी, रविवार को नीति आयोग की बैठक के दौरान।

इन मुलाकातों को लेकर विपक्षी दलों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि राज्य के पूर्व कद्दावर मंत्री और तृणमूल नेता पार्थ चटर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार हैं और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी के दो फ्लैट से 50 करोड़ रुपये से भी अधिक की नकदी मिली है। ईडी की इस कार्रवाई से तृणमूल पूरी तरह से असहज है। उधर पार्थ मामले को लेकर विपक्ष के निशाने पर तो तृणमूल है ही, साथ में कोयला, रेत व मवेशी तस्करी कांड में तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव और ममता के सांसद भतीजे अभिषेक बनर्जी भी हैं। अभिषेक और तृणमूल सभी आरोपों को खारिज करते रहे हैं।

ईडी-सीबीआइ की कार्रवाई के बीच मोदी के साथ ममता की ‘निजी बैठक’ ने विपक्ष को हमले के लिए एक और मुद्दा दे दिया है। तृणमूल की ओर से भले ही विपक्ष के आरोपों को खारिज किया गया हो, लेकिन वे ‘सेटिंग’ की बातें कहकर हमलावर हैं। आरोप लग रहे हैं कि ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से निजी तौर पर मिलकर स्पष्ट कर दिया है कि दोनों में साठगांठ है। तय कार्यक्रम के अनुसार ममता गुरुवार दोपहर दिल्ली पहुंचीं। इसके बाद पार्टी सांसदों के साथ समय बिताया। अगले दिन शुक्रवार को पीले गुलाब के गुलदस्ते के साथ संदेश-मिठाई और दही लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के लिए पहुंचीं।

आमतौर पर कहा जाता है कि पीला गुलाब ‘दोस्ती’ का प्रतीक होता है। वहां से निकलने के बाद ममता राष्ट्रपति द्रौपदी मुमरु से मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन गईं। यही नहीं, जब शुक्रवार को एक तरफ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेता दिल्ली में महंगाई के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे, तो दिल्ली में मौजूद रहने के बावजूद तृणमूल सुप्रीमो ने एक भी शब्द इस मुद्दे पर नहीं कहा। उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के सम्मान में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकाजरुन खड़गे ने संसद पुस्तकालय भवन में रात्रि भोज का आयोजन किया था, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, शरद पवार, टीआर बालू समेत 15 से ज्यादा विपक्षी दलों के नेता मौजूद थे, लेकिन पास के साउथ एवेन्यू में पार्टी सांसदों के साथ मौजूद रहने के बावजूद ममता शामिल नहीं हुईं।

विपक्षी गठबंधन से ममता की ‘दूरी’ दिल्ली दौरे में साफ दिखी। बंगाल भाजपा नेताओं के मुताबिक उन्हें अहसास हो गया है कि राष्ट्रीय राजनीति में उनकी कोई विश्वसनीयता नहीं रह गई है। वहीं कुछ यह भी कह रहे हैं कि शिक्षा भर्ती घोटाले में करोड़ों की बरामदगी से विपक्षी दलों के बीच ममता को ‘असहज’ होना पड़ता, इसीलिए वह दूर रही हैं। हालांकि राज्यसभा में तृणमूल संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि वे संसद के अंदर विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के साथ समन्वय रखेंगे। मुलाकात नहीं होने से विपक्षी एकता में दरार नहीं आएगी। अब देखना है कि दिल्ली से लौटने के बाद बंगाल में ममता की क्या रणनीति रहती है। वैसे पार्थ प्रकरण से तृणमूल बैकफुट पर है। मंत्रिमंडल में फेरबदल कर नए चेहरों को शामिल किया गया है, ताकि धूमिल हुई छवि को सुधारा जा सके।

(लेखक बंगाल राज्य ब्यूरो प्रमुख हैं)

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

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