
पिशाचमोचन कुंड से बीते दो दिनों के दौरान 80 कुंतल से ज्यादा मृत मछलियां निकाली गई हैं। बुधवार को भी काफी संख्या में मछलियां कुंड में उतराई हुई…
पिशाचमोचन कुंड से बीते दो दिनों के दौरान 80 कुंतल से ज्यादा मृत मछलियां निकाली गई हैं। बुधवार को भी काफी संख्या में मछलियां कुंड में उतराई हुई दिखीं। कुंड का बड़ा क्षेत्र मरी हुई मछलियों से पटा था। उनकी दुर्गंध के कारण क्षेत्र के स्थानीय लोगों और पुरोहितों, श्रद्धालुओं को सांस लेना मुश्किल था। राहगीर भी बिना मुंह ढंके यहां से नहीं गुजर पा रहे थे।
जानकारों के अनुसार हर साल पितृपक्ष के बाद कुंड में भारी संख्या में मछलियां मर जाती हैं। इसका कारण पिंडा के साथ सिंदूर आदि सामग्रियों से कुंड का पानी दूषित होना है। उस दूषित पानी में मछलियों को सांस लेने में दिक्कत होती है। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। बुधवार को नगर निगम के कर्मचारियों ने दो नाव से मछलियों को एकत्र किया। चूने और लालदवा का छिड़काव किया गया।
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनपी सिंह ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी और अपशिष्ट से रासायनिक बदलाव के कारण मछलियां मरी हैं। नगर आयुक्त के निर्देश पर कुंड में जाली लगाई जाएगी ताकि धार्मिक क्रियाओं के दौरान कुंड में अपशिष्ट न जाय।