टीबी रोगियों की सूचना निजी चिकित्सक और मेडिकल स्टोर संचालकों ने नहीं दी तो होगी कार्रवाई, पढ़ें बदली गाइडलाइन

स्वास्थ्य विभाग की ओर से बदली हुई गाइडलाइन के अनुसार अब निजी डाक्टर और मेडिकल स्टोर संचालकों ने नहीं दी तो उन पर विधिक कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अगर पर जानकारी साझा करते हैं तो प्रोत्साहन राशि के रूप में 500 रुपए भी दिए जाएंगे।
वाराणसी में टीबी के मरीज छुपाने पर प्राइवेट चिकित्सक व मेडिकल स्टोर संचालक पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि अगर जिला क्षय रोग विभाग को सूचना देते है तो इन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में 500 रुपये दिए जाएंगे। यह निर्देश मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने दिए।
चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सभी का सहयोग जरूरी है। विशेष रूप फील्ड में काम करने वाले कार्यकर्ताओं और निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। बताया कि सरकार की योजना के तहत निजी चिकित्सक यदि किसी क्षय रोगी का पंजीकरण कराते है तो उन्हें 500 रुपये प्रति रोगी के हिसाब से दिया जाता है। यही नहीं इलाज कराने पर भी 500 रुपये प्रति रोगी एक बार दिया जाता है। शासनादेश में यह भी है कि यदि कोई निजी चिकित्सक या मेडिकल स्टोर संचालक किसी क्षय रोगी के बारे में सूचना छिपाता है तो उस पर कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।
बच्चों में टीबी के लक्षण –
– बार-बार बुखार आना
– दो हफ्ते से ज्यादा खांसी आना
– वजन न बढ़ना या वजन घटना
– सुस्त रहना
– भूख न लगना
– खांसी में बलगम आना
बोल अधिकारी : इस साल 9060 रोगी चिह्नित किए गए है। जिनका उपचार किया जा रहा है। क्षय रोग का समय से इलाज कराने पर यह रोग पूरी तरह से ठीक हो जाता है। लक्षण आने पर जांच कराए और रोग होने पर इलाज शुरू कराए। इलाज के दौरान मरीज को प्रतिमाह पांच सौ रुपये दिए जाते हैं। – डा. पीयूष राय, जिला क्षय रोग अधिकारी।