ज्ञानवापी मस्जिद मामले में आज दोपहर में होगी सुनवाई, तहखाने की जांच सहित तीन प्रकरण पर होगी बहस

वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के अपूर्ण रहने की वजह से वीडियोग्राफी को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। अदालत भी अब इस मामले में बुधवार को होने वाली सुनवाई में इस पर कोई फैसला ले सकती है। मंगलवार को अदालत की कार्रवाई के बारे में स्पष्ट किया गया कि मुस्लिम पक्ष की वजह से ज्ञानवापी बैरिकेडिंग के भीतर वीडियोग्राफी पूरी नहीं हो सकी है। इसके साथ ही हिंदू पक्ष की ओर से तहखाने की जांच करवाने की मांग भी की गई है। अब आज बुधवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से एडवोकेट कमिश्नर बदलने और ज्ञानवापी में वीडियोग्राफी का कार्य पूर्ण कराने सहित तहखाने को लेकर सुनवाई होनी है।
इस मामले में दोपहर दो बजे से अदालत में सुनवाई शुरू होगी तो देश की नजरें अदालत से आने वाले हर फैसले पर टिकी होंगी। इस महत्वपूर्ण फैसले को लेकर परिसर में सुबह से ही गहमागहमी का दौर शुरू हो चुका है। शाम चार बजे तक ही अदालत में चल रही सुनवाई को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। इस प्रकार एडवोकेट कमिश्नर बदलने, ज्ञानवापी तहखाने की जांच और कमीशन की कार्यवाही सहित तीन मामलों को लेकर अदालत में बुधवार को सुनवाई होनी है। दोनों पक्षों की ओर से इस बाबत पूर्व में ही रणनीति तैयार कर प्रकरण पर मंथन किया जा रहा है।
ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र पर आज आदेश आएगा। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में शनिवार को दाखिल इस याचिका पर सोमवार को सुनवाई के बाद जज ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कमेटी के अधिवक्ताओं ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्हें बदलने की अपील की है। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर और वादी पक्ष को अपना पक्ष रखने का अवसर देते हुए उनसे आपत्ति मांगी थी।
ज्ञानवापी परिसर प्रकरण को लेकर मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत में पक्षकारों व उनके अधिवक्ताओं को ही प्रवेश ही अनुमति दी गई थी। सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत में भीड़ लग जाने पर व्यवधान उत्पन्न हुआ था। इसको लेकर सतर्कता बरतते हुए बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। कचहरी में भी सुरक्षा को लेकर पुलिस भी चाक चौबंद दिखी। कचहरी के सभी प्रवेश द्वारों पर जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा था। यहां तक कि मुख्य भवन व अदालत में आने जाने वाले लोगों की भी मेटल डिटेक्टर से जांच की गई।