Follow us On Google
देशराजनीति

कुर्सी जाने की आशंका के बीच हेमंत सोरेन का मास्टरस्ट्रोक- OBC रिजर्वेशन बढ़ाया, स्थानीय नीति में भी बदलाव

झारखंड ने ‘स्थानीयता’ के लिए 1932 खतियान को आधार बनाया, एससी/एसटी और ओबीसी के लिए 77 % आरक्षण

रांची: 

झारखंड में बुधवार को हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सरकार ने दो महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं. एक स्थानीय नीति में 1932 का खतियान का प्रावधान किया गया है और दूसरा आरक्षण नीति में फेरबदल कर ओबीसी का कोटा बढ़ाया गया है. सीएम हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक (Cabinet meeting) हुई. कैबिनेट की बैठक में 43 प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है. कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने इसकी जानकारी दी.

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के मंडरा रहे खतरे के बीच बुधवार को प्रदेश में ‘स्थानीयता’ तय करने के लिए 1932 के खतियान को आधार बनाने का निर्णय लिया है. सरकार ने इसके साथ ही राज्य की सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों (OBC) को मौजूदा 14 प्रतिशत के बजाय 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है, साथ ही एसी एवं एसटी वर्ग के आरक्षण में दो-दो प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया. सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) का कुल आरक्षण बढ़कर 77 प्रतिशत हो जाएगा.

झारखंड सरकार की मंत्रिमंडल सचिव वंदना डाडेल ने बुधवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के फैसले लिए गए.

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने ‘स्थानीयता’ की नीति 1932 के खतियान के आधार पर तय करने और पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने समेत विभिन्न वर्गों के लिए कुल 77 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित करने के लिए अलग-अलग विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किये जाने की स्वीकृति प्रदार की.

उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने दोनों फैस्लों से संबधित दोनों विधेयकों को विधानसभा से पारित कराने और राज्यपाल की स्वीकृति के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजने का भी निर्णय लिया. डाडेल ने बताया कि मंत्रिमंडल ने केन्द्र सरकार से यह अनुरोध करने का निर्णय लिया गया कि वह इन दोनों कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करे जिससे इन्हें देश की किसी अदालत में चुनौती न दी जा सके.

उन्होंने बताया कि स्थानीयता की नीति में संशोधन के लिए लाए जाने वाले नए विधेयक का नाम ‘झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान हेतु झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022′ होगा.

वंदना डाडेल ने बताया कि इस विधेयक के माध्यम से राज्य में स्थानीय लोगों को परिभाषित किया जायेगा और आज के मंत्रिमंडलीय फैसले के अनुसार अब राज्य में 1932 के खतियान में जिसका अथवा जिसके पूर्वजों का नाम दर्ज होगा उन्हें ही यहां का स्थानीय निवासी माना जाएगा.

उन्होंने बताया कि जिनके पास अपनी भूमि या संपत्ति नहीं होगी उन्हें 1932 से पहले का राज्य का निवासी होने का प्रमाण अपनी ग्राम सभा से प्राप्त करना होगा.

इसके अलावा राज्य मंत्रिमंडल ने विभिन्न वर्गों के लिए कुल आरक्षण 77 प्रतिशत तक करने का निर्णय लिया.

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने विधानसभा में ‘झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण:अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों एवं पिछड़े वर्गों के लिएः अधिनियम 2001 में संशोधन हेतु विधेयक 2022′ पेश करने का फैसला किया, जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए राज्य की नौकरियों में आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण प्रतिशत 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की व्यवस्था होगी.

उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडलीय ने इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने का फैसला किया.

पिछले वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिए 15 प्रतिशत और पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया है.

स्थानीयता नीति पर राज्य के आदिवासी संगठनों ने लगातार 1932 खतियान को आधार बनाने की मांग की थी क्योंकि उनके अनुसार राज्य के भूमि रिकॉर्ड का अंग्रेज सरकार ने अंतिम बार 1932 में सर्वेक्षण किया था.

इससे पूर्व झारखंड की रघुवर दास सरकार ने स्थानीयता की नीति तय करते हुए वर्ष 2016 में 1985 को राज्य की स्थानीयता तय करने के लिए विभाजक वर्ष माना था, जिसके खिलाफ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.

ऐसा माना जाता है कि राज्य में अपने नाम खनन पट्टा आवंटित करवाने के कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार पर खतरा मंडराने की आशंका है, इसलिए उन्होंने राजनीतिक रूप से अहम नीतिगत फैसले लिए हैं.

माना जा रहा है कि चुनाव आयोग ने उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर अपना निर्णय 25 अगस्त को राज्यपाल के पास भेज दिया था, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक इस बारे में अपना फैसला नहीं सुनाया है जिससे राज्य सरकार पिछले लगभग तीन सप्ताह से संशय की स्थिति में है. सत्तारूढ़ पक्ष का आरोप है कि इस तरह की संशय की स्थिति पैदा कर राज्य में विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश की जा रही है, ताकि सरकार को अस्थिर किया जा सके.

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सचिवालय में मीडिया से बातचीत करते हुए सोरेन ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने आज अनेक ऐतिहासिक फैसले किये. राज्य ने आज निर्णय ले लिया है कि यहां 1932 का खतियान लागू होगा. राज्य में पिछड़ों को सरकारी नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. इस राज्य में कर्मचारियों को उनका हक मिलेगा.”

उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी सरकार की स्थिरता को लेकर विपक्षी माहौल को दूषित कर रहे हैं. सोरने ने दावा किया, ‘‘ मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि मेरी सरकार को कोई खतरा नहीं है.”

Author

  • Mrityunjay Singh

    Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

Follow us On Google

Mrityunjay Singh

Mrityunjay Singh is an Indian author, a Forensic expert, an Ethical hacker & Writer, and an Entrepreneur. Mrityunjay has authored for books “Complete Cyber Security eBook”, “Hacking TALK with Mrityunjay Singh” and “A Complete Ethical Hacking And Cyber Security” with several technical manuals and given countless lectures, workshops, and seminars throughout his career.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!

Adblock Detected

Please disable your Adblocker