काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग ने की ऐसी गलती कि इस ‘हिंदी ज्ञान’ पर लोगों ने सिर पीट लिया, पढें…

सर्वविद्या की राजधानी कही जाने वाली और देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में शामिल बीएचयू के हिंदी विभाग की ओर से की गई गंभीर त्रुटि सोशल मीडिया (इंटरनेट मीडिया) पर वायरल हो गई। दरअसल पुस्तकालय विभाग की ओर से छात्रों के लिए जो सूचना जारी की गई उस लेटर पैड में हिंदी भी शुद्ध से नहीं लिखने की वजह से यह लेटरपैड और सूचना की तस्वीर वायरल है और लोगों के बीच खूब चर्चा में है।
इस पर स्वदेसी मंच के प्रचार प्रमुख पूर्वी उत्तर प्रदेश काशी प्रांत, सदस्य राष्ट्रीय परिषद डा. अवनीन्द्र राय ने लिखा है कि – ”वस्तुतः अनपढ़ों के साम्राज्य में हो ही क्या सकता है । जिस महामना ने हिंदी के लिए सर्वदा संघर्ष किया उन्हीं के संस्थान में हिंदी की ऐसी स्थिति राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के लिए घोर निराशाजनक भवितव्य की सूचना है। #काहिविवि”
इस पर एक अन्य यूजर शिव चौधरी ने लिखा है – ‘शर्मनाक… ये लोग हिंदी भी ठीक नहीं लिख पा रहे हैं।’
इस पर अवनीन्द्र ने जवाब दिया है कि – ‘कुलपति को ही हिन्दी नहीं आती भूकंप स्पेशलिस्ट’।
जबकि शैलेष पांडेय ने लिखा है कि – ‘यह अपनी भाषा के प्रति गर्वहीनता का भाव प्रदर्शित करता है।’
वहीं कई लोगों ने इस पोस्ट को रिट्वीट कर अपनी आपत्ति बीएचयू जैसे शीर्ष संस्थान के लिए जाहिर कर अपना रोष प्रकट किया है।
यह है मामला : बीएचयू में बाबू श्याम सुंदर दास पुस्तकालय हिंदी विभाग की ओर से पुस्कालय के संदर्भ में सूचना जारी की गई थी। इसके लेटर हेड में बाबू की जबह ‘बाबु’ और हिंदी की जगह हिंदि शब्द लिखे जाने के बाद से ही यह पत्र चर्चा में आ गया और बुधवार की सुबह इसे इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किया गया तो देखते ही देखते यह वायरल होने लगा। इस पत्र में छात्रों से पुस्तक को समय से जमा करने की बात कहते हुए आर्थिक दंड लगाए जाने की जानकारी दी गई है। पत्र में विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की ओर से हस्ताक्षर भी किए गए हैं।
पत्र में गलतियों की भरमार : पत्र के भीतर हिंदी की जगह तमाम जगहों पर अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग किया गया है। इसके अतिरिक्त तमाम अन्य त्रुटियां सूचना में भी मौजूद हैं। जिसमें सूचित को सुचित, कोई को कोइ, कृपया को क्पया, किया को कीया। वहीं पूर्ण विराम को भी गलत तरीके से लिखा गया है।
बोले जानकार : बीएचयू के हिंदी विभाग द्वारा हिंदी गलत लिखना दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसा लगता है कि प्रिंटिंग त्रुटि हुई होगी। – प्रो. अनुराग कुमार हिंदी विभाग, काशी विद्यापीठ