उत्तर भारत दोबारा भीषण गर्मी की चपेट में, वाराणसी में नमी के अभाव में बादलों ने बनाई दूरी

वाराणसी, जागरण संवाददाता। पूर्वांचल में मौसम का रुख बदलने के साथ ही तापमान में अधिकता का क्रम जारी है। मौसम विभाग के अनुमानों के अनुसार ही मौसम का रुख बदलाव की ओर है। वातावरण से नमी गुम होने का असर मौसम के रुख पर व्यापक स्तर पर पड़ा है। बादलों की सक्रियता उत्तर भारत में बहुत ही कम है। इसके पीछे नमी में कमी का अभाव ही अधिक जिम्मेदार है। अन्यथा लोकल हीटिंग के असर के साथ ही नमी का साथ मिलने पर बादलों का बनना सामान्य प्रक्रिया है। लगभग दो माह से बारिश न होने की वजह से मौसम और भी शुष्क हो चला है।
बीते चौबीस घंटों में अधिकतम तापमान 43.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से तीन डिग्री अधिक रहा। न्यूनतम तापमान 24.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से एक डिग्री अधिक रहा। आर्द्रता अधिकतम 24 फीसद और न्यूनतम 12 फीसद दर्ज की गई। मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे सप्ताह आसमान साफ बना रहेगा और पूर्वांचल में बादलों की बहुत ही मामूली सक्रियता का दौर हो सकता है। दूसरी ओर सैटेलाइट तस्वीरों में भी उत्तर भारत में ताप का व्यापक असर बना हुआ है। मौसम का रुख चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही वातावरण से नदारद हो चुकी नमी की वजह से बादलों की सक्रियता भी नहीं हो पा रही है।
मानसून देश में 20 मई को दस्तक देगा, यह एक जून के आसपास केरल और तमिलनाडु में सक्रिय होगा। इसके बाद क्रमश: उत्तर भारत की ओर बढ़ता हुआ 15-20 के बीच सोनभद्र के रास्ते उत्तर प्रदेश में दाखिल होगा। वहीं 20 जून के आसपास यह मानसूनी बादल वाराणसी, 25 जून के आसपास तक लखनऊ और एक जुलाई के आसपास नई दिल्ली की ओर रुख करेंगे और गर्मी से राहत देंगे। इस लिहाज से मानसूनी सक्रियता लगभग 55 दिन की दूरी पर है। इस दौरान लगभग दो माह के बीच प्री मानसूनी सक्रियता बादलों की आवाजाही की वजह बन सकती है। वातावरण से नमी मिली तो बारिश भी हो सकती है। मई के पहले पखवारे से बूंदाबांदी और बादलों की सक्रियता का संकेत है।