इस बरसात ठीक से नहीं होने के कारण मिट्टी में मिल जाएगी किसानों की मूल पूंजी, खेतों में पड़ने लगी दरार

जिले में खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई का सिलसिला भले ही जारी है, लेकिन पानी के अभाव में रोपी गई फसल पीली होकर सूखने के कगार पर पहुंच गई है। मेघों के दगा देने के कारण आने वाले दिनों में भी बारिश का यही हाल रहा तो किसानों की मूल पूंजी भी मिट्टी में मिल जाएगी। हालांकि बीते दिनों किसानों ने जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग की, लेकिन अभी तक ठोस पहल नहीं हो पाई है। धान के कटोरे में अधिकांश किसानों ने जून माह के प्रथम पखवारे में धान की नर्सरी डाल दी थी।
जुलाई के प्रथम सप्ताह तक नर्सरी रोपाई के लिए पूरी तरह तैयार तो हो गई, लेकिन मानसून ने दगा दे दिया। जून माह के द्वितीय पखवारे में दो -तीन दिनों तक लगातार हल्की बारिश का सिलसिला जारी रहा। जुलाई में भी छिटपुट बारिश हुई, लेकिन पिछले एक पखवारे से बारिश लौटने का नाम ही नहीं ले रही है। हालांकि किसान नहरों व निजी साधनों से धान की रोपाई तो कर दिए हैं, लेकिन चिलचिलाती धूप से फसल तो पीली पड़ ही रही, खेतों में दरार पड़ने लगी है। किसानों का कहना कि आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो फसल बचा पाना भी मुश्किल हो जाएगा। उधर बांधों के जलस्तर में भी निरंतर कमी हो रही है।
113613 हेक्टेयर में धान की खेती खरीफ के चालू सीजन में धान के कटोरे में 113613 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अब तक लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 70 फीसदी धान की रोपाई हो पाई है। कृषि विभाग की ओर से धान उत्पादन का लक्ष्य 32.5 रखा गया है।
बांधों का जलस्तरभैसौड़ा – 910 के सापेक्ष 896 फीट, मूसाखाड़ – 357 के सापेक्ष 344, चंद्रप्रभा – 772 के सापेक्ष 740नौगढ़ – 897 के सापेक्ष 884 फीट पानी मौजूद है। वहीं लतीफशाह बीयर में 285 व मुजफ्फरपुर बीयर में 304 फीट पानी मौजूद है।
आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो परेशानी का सामना करना पड़ेगा
धान की रोपाई के लिए नहरों में पानी छोड़ा जा रहा है। आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बसंत कुमार दुबे, जिला कृषि अधिकारी।